कांग्रेस की केन्द्रीय टीम में बढ़ेगा मप्र का रुतबा, राहुल की पसंद के नेताओं को मिलेगी अहम जिम्मेदारी

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इंदौर। टीम खडगे में मप्र के कांग्रेस नेताओं का रुतवा लगातार बढ़ रहा है। माना जा रहा है कि राष्ट्रीय सचिव के बाद अब महासचिवों की नियुक्ति होने जा रही है। इसमें भी मप्र का जलवा रहने वाला है।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि प्रदेश के तीन नेताओं को बेहद अहम जिम्मेदारी मिलना तय है। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को जहां राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष बनाया जा सकता है, वहीं पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव और पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन को राष्ट्रीय महासचिव बनाकर किसी राज्य का प्रभार दिया जा सकता है।
यादव व नटराजन लंबे समय से पार्टी संगठन से बाहर चल रहे हैं। दरअसल यह दोनों ही नेता राहुल गांधी के करीबी नेताओं में माने जाते हैं। इन दोनों ही नेताओं को पार्टी ने हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में भी टिकट नहीं दिया था, जिसकी वजह से वे उपेक्षित महसूस कर रहे थे। गौरतलब है कि हाल ही में राष्ट्रीय स्तर पर सचिवों की नियुक्तियों में भी प्रदेश को महत्व दिया गया है। प्रदेश के पांच नेताओं को सचिव बनाया गया है।
इनमें सत्यनारायण पटेल (इंदौर) को उत्तर प्रदेश, चौधरी (कलापीपल) को महाराष्ट्र, भूपेंद्र मरावी (शाहपुरा) को गुजरात, मनोज चौहान (सीधी) को हरियाणा, नीलांशु चतुर्वेदी (चित्रकूट) के नाम शामिल हैं।
इस बार लोकसभा चुनाव में जिस तरह से कांग्रेस को सफलता मिली है, उससे कांग्रेस आलाकमान के अलावा कांग्रेस नेताओं में अलग तरह का उत्साह है।
यही वजह है कि अब कांग्रेस अपनी नई टीम में युवाओं को भी शामिल कर उनकी ऊर्जा का उपयोग करना चाहती है। अरुण यादव को संगठन में महत्वपूर्ण पद देकर कांग्रेस प्रदेश में भाजपा के लिए चुनौती खड़ा करना है।
यादव कांग्रेस में सबसे बड़े पिछड़ा वर्ग का चेहरा हैं। उनकी निमाड़ इलाके में अच्छी पकड़ मानी जाती है। इसके अलावा उनका यादव समाज पर भी प्रभाव माना जाता है।
वे पहले भी संगठन में का कर चुके हैं। पूर्व में भी वे पार्टी के राष्ट्रीय सचिव और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रह चुके हैं। इसके अलावा वे केन्द्र में मंत्री भी रहे हैं। उनकी कार्यशैली सभी को साथ लेकर चलने की है।
गांधी परिवार को लेकर वे समय-समय पर भाजपा पर हमला करने में भी पीछे नहीं रहते हैं। उनकी छवि एक किसान नेता के रूप में भी है।
इसी तरह से मीनाक्षी नटराजन को भी संगठन में काम करने का पुराना अनुभव है। वे युवा कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष और कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव रह चुकी हैं। इसके अलावा वे एक बार 2009 में मंदसौर लोकसभा क्षेत्र से सांसद भी चुनी जा चुकी हैं। उन्हें बेहद लो प्रोफाइल लीडर माना जाता है। वे सभी को साथ लेकर चलने वाली नेता मानी जाती हैं।
यही वजह है कि पार्टी इन दोनों युवा नेताओं को संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने की तैयारी कर ली गई हैं।

कमलनाथ के हाथ रहेगी खजाने की कमान —

सियासी गलियारों में पूर्व सीएम कमलनाथ को कांग्रेस का राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा पूरे जोरों पर है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि पार्टी मानती है कि कमलनाथ देश भर के बड़े उद्योगपतियों से संबंधों के चलते पार्टी के लिए फंड की व्यवस्था आसानी से कर सकते हैं। वैसे भी इस समय पार्टी को अपने खजाने को भरने की बेहद जरूरत महसूस की जा रही है।
यही वजह है कि राष्ट्रीय नेतृत्व उन्हें कोषाध्यक्ष बनाए जाने पर बेहद गंभीरता से विचार कर रही है। हाल में दिल्ली में कमलनाथ की पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात को भी इसी दृष्टि से देखा जा रहा है।
फिलहाल वर्तमान में कमलनाथ के पास संगठन में कोई जिम्मेदारी नहीं है। वे पूर्व में लंबे समय तक पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और कई बार केन्द्रीय मंत्री रह चुके हैं। उन्हें संगठन के अलावा सरकार में काम करने का बड़ा अनुभव है।

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