कांग्रेस से भाजपा में आए अक्षय बम के कॉलेज से फूटा पर्चा लीक का बम, कंप्यूटर ऑपरेटर और दो छात्र गिरफ्तार

 

 

इंदौर। एमबीए के पेपर लीक मामले में बड़े राज खुले हैं। पेपर कांग्रेस से भाजपा में आए अक्षय कांति बम के कॉलेज आइडलिक इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट से लीक हुआ था। पुलिस ने कॉलेज के कंप्यूटर ऑपरेटर सहित दो छात्रों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों ने दो हजार रुपये से 500 रुपये तक में पेपर बेचना कबूल लिया है। डीसीपी जोन-3 पंकज पांडे के मुताबिक देवी अहिल्या विश्व विद्यालय द्वारा आयोजित (एमबीए प्रथम सेमेस्टर) की परीक्षा का 24 मई को पेपर लीक हुआ था। विश्वविद्यालय की तरफ से मामले में शिकायत दर्ज करवाई थी। पुलिस ने मामले में कॉलेज के कंप्यूटर आपरेटर दीपक सुरेश सोलंकी निवासी रंगवासा रोड सहित दीपेंद्र नरवरिया (प्रथम वर्ष) और गौरवसिंह गौर (द्वितीय वर्ष) को गिरफ्तार कर लिया।

लिफाफा खोलकर फोटो खींचा और 2000 में बेच दिया

डीसीपी के मुताबिक दीपक प्रिंसिपल के कार्यालय में कंप्यूटर ऑपरेटर है। उसने पूछताछ में बताया कि पेपर सात दिन पूर्व ही कॉलेज में आ गए थे। 21 मई को उसने प्रिंसिपल की अनुपस्थिति में लिफाफा खोलकर फोटो खींच लिया। उसका प्रिंट आउट निकाला और दो हजार रुपये में दीपेंद्र को बेच दिया। कॉलेज उन अक्षय कांति बम का, जो लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के प्रत्याशी थे और ऐनवक्त पर कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आ गए थे। दीपेंद्र ने भी इस पर्चे को 500 रुपये में गौरव को बेचा था।

डेढ़ सौ छात्रों के कॉल लॉग और वाट्सएप से जोड़ी कड़ियां

एसीपी तुषारसिंह के अनुसार पेपर लीक होने के बाद एबीवीपी और एनएसयूआई पदाधिकारियों ने विरोध प्रदर्शन किया था। पुलिस ने जांच के दौरान आठ कालेजों को संदेह में रखकर जांच की। छात्रों ने कथनों में आइडलिक कालेज पर शक जाहिर किया। पुलिस ने करीब डेढ़ सौ छात्रों के मोबाइल की काल डिटेल और वाट्सएप की जांच की। आइडलिक कालेज के छात्रों से पूछताछ की, तो उन्होंने भी पेपर लीक होने की पुष्टि कर दी। छात्रों ने गौरव और दीपेंद्र का नाम बताया। दोनों के मोबाइल जब्त कर जांच की तो उसमें चेटिंग और पेपर मिल गया। एसीपी के मुताबिक प्रिंसिपल और कालेज प्रबंधन से भी पूछताछ होगी। किसी अन्य की लापरवाही मिली तो कार्रवाई की जाएगी।

यह है पूरा मामला

पेपर आउट होने के बाद निरस्त किए 21 मई से एमबीए फर्स्ट सेमेस्टर की परीक्षा शुरू हुई थी। उसके बाद 25 मई को क्वांटेटिव तकनीक और 28 मई को अकाउंट फार मैनेजर पेपर आउट हो गया। प्रदर्शन के दौरान छात्र संगठन ने तीन कॉलेजों पर पेपर लीक करने का आरोप लगाया। वहीं एबीवीपी ने इस कॉलेज पर ही संदेह जताया था। छात्र नेताओं के मुताबिक विद्यार्थियों के पास वाट्सअप के माध्यम से दस से पंद्रह घंटे पहले पेपर पहुंच जाते थे। विश्वविद्यालय को जानकारी देने के बावजूद पेपर बदले नहीं गए। लगातार हो रहे हंगामे के बाद विश्वविद्यालय ने दोनों पेपर निरस्त कर दिए। यहां तक कि प्रशासनिक फेरबदल कर रिटायर्ड जस्टिस की अध्यक्षता में चार सदस्य समिति बनाई है। अब तक समिति ने तीन बैठक कर ली है। कॉलेज की संबद्धता खत्म करेंगे कॉलेज से जुड़े कंप्यूटर ऑपरेटर व विद्यार्थियों के नाम सामने आए हैं। अब कॉलेज पर कार्रवाई को लेकर जल्द ही अधिकारियों की बैठक की जाएगी। वैसे कॉलेज की संबद्धता खत्म करने का विचार किया जाएगा।