संस्कृत सीबीएससी में भी बनी महारानी

 

एनसीएफ ने जारी किया ड्राफ्ट, अगले सत्र से कोर्स में होगा बड़ा बदलाव

इंदौर। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के स्कूलों में कक्षा नौवीं से तीसरी भाषा के रूप में अब क्षेत्रीय भाषा को पढ़ाया जाना है, लेकिन मप्र में कई क्षेत्रीय भाषाएं हैं। ऐसे में स्कूलों द्वारा संस्कृत को क्षेत्रीय भाषा के तौर पर पढ़ाया जाएगा।
सहोदय समूह की चेयर पर्सन इसाबेल स्वामी ने बताया कि तीसरी भाषा के रूप में संस्कृत ही पढ़ाई जाएगी। सीबीएसई स्कूलों में पहली से आठवीं तक संस्कृत पढ़ाई ही जाती है। अब नौवीं में भी संस्कृत पढ़ाएंगे। हालांकि, कुछ स्कूलों द्वारा छठी कक्षा से विदेशी भाषा की पढ़ाई होती है, लेकिन अब उन्हें भी संस्कृत पढ़ानी होगी। यह बदलाव आगामी सत्र से किया जाएगा।

एनसीएफ ने जारी किया ड्राफ्ट बता दें कि कुछ समय पहले नेशनल केरिकुलम फेमवर्क ने सीबीएसई स्कूल के लिए एक ड्राफ्ट जारी किया है। इसमें दो भाषाओं के अलावा एक स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा को नौवीं कक्षा में शामिल करने के लिए कहा गया है। विशेषज्ञों के मुताबिक, प्रदेश में क्षेत्रीय भाषाओं में बुंदेली, बघेली, मालवी, निमाड़ी, भीली, ब्रज, कोरकू और गोंडी बोली जाती है, लेकिन इनके योग्य शिक्षक नहीं हैं, न ही एनसीईआरटी द्वारा इन भाषाओं में किताबों का प्रकाशन किया जा रहा है। ऐसे में क्षेत्रीय भाषा के रूप में प्रदेश में संस्कृत ही पढ़ाई जानी चाहिए। नौवीं कक्षा से संस्कृत पढ़ाई जाएगी, तो विद्यार्थी इस क्षेत्र में भी अपना कैरियर बना सकते हैं।

नीति का हिस्सा एनसीएफ सीबीएसई स्कूलों में पाठ्यक्रम आदि लागू करवाने का काम करता है। एनसीएफ ने सीबीएसई स्कूलों के पाठ्यक्रम को लेकर जो ड्राफ्ट तैयार किया है, उसकी धारा 2.4 में तीन भाषाओं को आर-वन, आर-टू और आर-श्री में बांटा गया है। इनमें आर-वन में क्षेत्रीय या स्थानीय भाषा को शामिल करने को कहा गया है। यह भाषा कक्षा नौवीं से पढ़ाई जाएगी।