मालवा और निमाड़ अंचल की चार सीटें भाजपा के लिए एकदम सुरक्षित

 

एक में कांग्रेस बराबरी पर आकर टिक सकती है

 

इंदौर। मालवा और निमाड़ यानी इंदौर और उज्जैन संभाग की आठ में से 5 सीटें सुरक्षित हैं। इनमें रतलाम झाबुआ धार और खरगोन की सीट आदिवासियों के लिए सुरक्षित है तो उज्जैन तथा देवास शाजापुर दलित सुरक्षित सीटें मानी जाती हैं।
इन सभी सीटों पर 13 में को मतदान होगा। कल मालवा और निमाड़ अंचल में चुनाव प्रचार का अंतिम दिन है। चुनावी शोर शाम को 6 बजे समाप्त हो गया। सुरक्षित सीटों में रतलाम झाबुआ को छोड़ दिया जाए तो विशेष सभी चारों सीटों पर भाजपा अच्छी स्थिति में है।

देवास ,शाजापुर में कांग्रेस के राजेंद्र मालवीय भाजपा के महेंद्र सिंह सोलंकी के मुकाबले में बिल्कुल भी नहीं जम रहे हैं। इसी तरह उज्जैन के कांग्रेस प्रत्याशी महेश परमार मजबूत होने के बावजूद मोदी लहर के कारण भाजपा से पिछड़ गए हैं।
उज्जैन मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव का गृह क्षेत्र भी है। यानी यहां मोदी लहर के साथ-साथ डॉक्टर मोहन यादव की लोकप्रियता का भी मुकाबला कांग्रेस को करना है। इसी तरह धार और खरगोन आदिवासी सुरक्षित सीटों पर भी भाजपा को अधिक दिक्कत नहीं है।
विधानसभा चुनाव में खरगोन और धार दोनों संसदीय क्षेत्रों में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन लोकसभा चुनाव में यहां का वोट पैटर्न बदला जाता है। इस कारण से भाजपा को धार और खरगोन में अधिक दिक्कत नहीं आएगी। भाजपा को सबसे अधिक दिक्कत रतलाम झाबुआ सीट पर आ रही है। यहां कांतिलाल भूरिया और अनीता चौहान के बीच मुकाबला है।
कांतिलाल भूरिया झाबुआ संसदीय क्षेत्र से पांच बार सांसद रह चुके हैं। जबकि चार बार वो यहां से विधायक भी रहे हैं। उन्होंने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, केंद्रीय मंत्री और प्रदेश में कैबिनेट मंत्री जैसे पद सुशोभित किए हैं। वर्तमान में उनके पुत्र विक्रांत भूरिया झाबुआ से विधायक हैं। जाहिर कांतिलाल भूरिया अपने बलबूते पर भाजपा को टक्कर दे रहे हैं।

झाबुआ संसदीय क्षेत्र में आदिवासियों के बीच भील बनाम भिलाला लड़ाई रहती है। भील समाज के मतदाता काफी मात्रा में होने का फायदा भी कांतिलाल भूरिया को मिलेगा। यह एक ऐसी सीट है जहां भाजपा अपवाद स्वरूप दो बार जीती है। 2014 में दिलीप सिंह भूरिया भाजपा की टिकट पर जीते थे जबकि 2019 में गुमान सिंह डामोर ने यह सीट निकली थी। अन्यथा भाजपा को यहां हमेशा पराजय मिली है।

शेष सीटों पर दिक्कत नहीं —

भाजपा को मालवा और निमाड़ अंचल की शेष तीनों सामान्य सीटों पर बिल्कुल भी दिक्कत नहीं है। इंदौर की बात करना बेकार है।
यहां का परिणाम तभी बदल सकता है जब कोई अनजान निर्दलीय प्रत्याशी शंकर लालवानी को पराजित कर दे अन्यथा यदि नोटा के वोट भी भाजपा से अधिक निकले तो भी जीत शंकर लालवानी की ही होगी। इंदौर के अलावा खंडवा और मंदसौर में भी भाजपा को दिक्कत नहीं है।
मंदसौर ,खंडवा और इंदौर इन तीनों सामान्य सीटों पर भाजपा अच्छे खासे मार्जिन से जीतेगी।