रंग दिखने लगा है मलेरिया उन्मूलन की दिशा में किए जा रहे प्रयासों का

 

उज्जैन। उज्जैन जिले में प्रदेश सरकार के साथ ही मलेरिया विभाग द्वारा मलेरिया उन्मूलन की दिशा में किए जा रहे प्रयास अब सार्थक सिद्ध होते दिखाई दे रहे है क्योंकि पूरे प्रदेश के साथ ही जिले में भी मलेरिया के मामलों में कमी होने की बात सामने आई है।
मलेरिया विभाग के जिम्मेदारों का कहना है कि आगामी वर्ष 2025 के अंत तक पूरे प्रदेश के साथ
ही उज्जैन जिला भी मलेरिया जैसी बीमारी से मुक्त हो जाएगा। गौरतलब है कि मलेरिया उन्मूलन की दिशा में उज्जैन का जिला मलेरिया विभाग लगातार अभियान चलाता है और लोगों को भी मलेरिया जैसी बीमारी से बचाव के लिए जागरूक करने का काम किया जाता है। संभवतः यही कारण है कि बीते कुछ वर्षों से मलेरिया के केसों में बहुत कमी आ गई है।
जागरूक हो गए है लोग इसलिए कमी

चिकित्सकों का यह कहना है कि लोग अपनी सेहत के साथ ही सफाई आदि के मामलों में जागरूक हो गए है और यही कारण है कि मलेरिया जैसी बीमारी से संक्रमित मरीजों में कमी होने लगी है। मलेरिया राज्य कार्यक्रम अधिकारी डॉ. हिमांशु जयसवार ने बताया कि  प्रदेश में मलेरिया कम होने के प्रमुख कारण कोरोना की वजह से लोग साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देने लगे और मच्छरों में काफी कमी आई। मलेरिया विभाग us नगर निगम और एंबेड परियोजना के सहयोग से  जन जागरूकता अभियान चलाया। स्कूल, कॉलेज से लेकर धर्मगुरुओं को भी इस अभियान में शामिल किया। अभियान में एंबेड परियोजना के कर्मचारियों ने झुग्गी बस्तियों तक पहुंच कर लोगों को जागरूक किया। मलेरिया विभाग के आंकड़ों को देखें तो जहां वर्ष 2015 में 25 जिले कैटेगरी 3 में सम्मिलित थे, वहीं वर्ष 2023-24 में एक भी जिला कैटेगरी 3 में सम्मिलित नहीं है। इस प्रकार प्रदेश सभी जिलों में मलेरिया एपीआई एक से कम दर्ज किया गया है।
ये है जिले सहित पूरे प्रदेश के आंकड़े
2018 में जिले सहित पूरे प्रदेश में  मादा एनाफिलीज का गणित समझ में आते ही विभाग के साथ लोगों ने जागरूकता बरती और मलेरिया के मामले भी घटने लगे।  मलेरिया विभाग की मानें तो जिले सहित पूरे प्रदेश में  जनवरी से अब तक 1,21,933 संदिग्धों की जांच की, लेकिन सिर्फ 3 सैंपल ही रहे। 2022 में 4,26273 सैंपलों की जांच में महज 19 मलेरिया पॉजिटिव मिले। 2023 में 5,28243 सैंपलों में 13 मरीज मिले थे।
अभी जांच करने का काम बंद

यूं भले ही पूरे प्रदेश के साथ ही जिले में मलेरिया के केस कम होने लगे है लेकिन लोकसभा चुनाव की आचार संहिता होने के कारण विभाग के डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के संदिग्ध मरीजों की जांच का अभियान भी निर्धारित समय के बाद शुरू हो पाएगा। जिला मलेरिया अधिकारी का कहना है कि इन  महीनों में विभाग में इस तरह का कोई अभियान नहीं चल पाएगा। उल्लेखनीय है कि जिले में पिछले 7 सालों में मलेरिया के मामलों में लगातार गिरावट आई है। हालांकि साल 2020 में डेंगू ने जिले में महामारी का रूप ले लिया था। इसके बाद साल 2022 के शुरुआती 11 महीनों में डेंगू का एक भी नया केस जिले में नहीं मिला था। पिछले साल भी मलेरिया विभाग के रिकॉर्ड में जिले में मलेरिया का एक भी केस दर्ज नहीं हुआ था और डेंगू की स्थिति भी नियंत्रण में बताई गई थी। विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक साल 2022 में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया की तत्काल पहचान तथा बीमारी पर नियंत्रण के लिए 2 लाख 14 हजार 479 संदिग्ध मरीजों की जांच का लक्ष्य दिया गया था, परंतु विभाग ने इस वर्ष लक्ष्य से 14 प्रतिशत अधिक 2 लाख 45 हजार 270 नमूनों की जांच की थी। इनमें किसी भी मरीज में डेंगू, मलेरिया या चिकनगुनिया के लक्षण नहीं मिले थे। यही स्थिति साल 2023 में भी बताई गई थी।