छुटिृटयों का लेंगे लाभ,करेंगे पालकों की जेब साफ

-कुछ प्रायवेट स्कूलों में अब हुई गौरखधंधे की शुरूआत

 

-प्रशासन डाल –डाल तो स्कूल माफिया पात-पात के हालात निर्मित हुए, डरे सहमें पालक शिकायत से डर रहे

उज्जैन। शिक्षा विभाग और प्रशासन की सख्ती से 16 स्कूलों  के गौरखधंधे पर गाज गिरी। इसके तहत प्रत्येक स्कूल पर 2-2 लाख का जुर्माना किया गया है। इसके बावजूद कुछ निजी स्कूलों ने अब गौरखधंधे की शुरूआत की है। छुट्टियों की सूचना के साथ ही कोर्स का एक कागज थमा दिया गया है। छुटिृटयों का लाभ लेते हुए ऐसे स्कूल पालकों की जेब साफ करेंगे। जिले में प्रशासन डाल –डाल तो स्कूल माफिया पात-पात के हालात निर्मित हो गए हैं। पालक ऐसे स्कूलों की शिकायत करने से भी डर रहे हैं।

निजी स्कूलों के गौरखधंधे का खुलासा शिक्षा विभाग ने प्रशासन के साथ मिलकर इस माह के प्रथम सप्ताह में बुक स्टाल, युनिफार्म विक्रेताओं के यहां जांच करते हुए स्कूलों से उनके गठबंधन को उजागर कर दिया है। जांच में 16 स्कूलों में इस गौरखधंधे का खुलासा हुआ है जिसमें मध्यप्रदेश शासन के नियमों के विपरित गतिविधि से स्कूल संचालन करते हुए नियमों के विपरित पालकों को चूना लगाया जा रहा है। जिले में इस प्रशासनिक कार्रवाई के बाद जिला समिति के अध्यक्ष एवं कलेक्टर ने 16 स्कूलों पर 32 लाख के जुर्माने के आदेश दिए थे। इस कार्रवाई को देखते हुए कतिपय निजी स्कूलों ने छद्म खेलते हुए अपने गौरख धंधे को ग्रीष्म अवकाश के बाद अंजाम देने का षडयंत्र रचा है। इसके तहत 18 जून के बाद जैसे ही स्कूल खुलेंगे पालकों की जेब साफ की जाएगी।

बदला पैंतरा-

शिक्षा सत्र की शुरूआत के सप्ताह में प्रशासन की कार्रवाई की भनक लगते ही कुछ स्कूलों ने जिले में पैंतरा बदल लिया था। उन्होंने अपने स्कूल के बच्चों को तब तक किताबें नहीं मंगवाई थी। पाठ्यक्रम निर्धारण किया जा रहा है के नाम पर समय को आगे किया गया। इसके बाद अब जब छुट्टियां घोषित हुई तो शनिवार को धीरे से बच्चों को सूचना पत्र से अवगत करवा दिया गया है। एक पालक के अनुसार प्रतिवर्ष किताबें बदली जा रही है। युनिफार्म में छोटा मोटा बदलाव कर दिया जाता है। जिससे की पालक को हर वर्ष नई किताब एवं युनिफार्म लेना पडे वह भी ऐसे स्कूलों के गठबंधन स्थल से।

पालक डरे सहमें हुए-

स्कूल माफिया की कारगुजारी का खुलासा होने के बाद भी इन्हें कोई असर नहीं हो रहा है। जुर्माने से दंडित स्कूलों के संचालकों ने प्रशासन के साथ लडने का मन बनाते हुए अपील का रूख किया है। ऐसे में पालकों में डर समाया है। हाल यह हैं कि कतिपय ऐसे स्कूलों की शिकायत पालक शिक्षा विभाग एवं जिला समिति के अध्यक्ष कलेक्टर के सामने करने से बच रहे हैं। पालकों का सोच है कि शिकायत करने पर उनके बच्चों का स्कूल नुकसान कर सकते हैं । शिक्षा माफिया जब प्रशासन के दबाव में नहीं आया तो फिर हमारी बिसात क्या है। प्रशासन कार्रवाई कर डाल-डाल पर ऐसे स्कूलों को ढुंढने में लगा है तो कतिपय स्कूल माफियाओं ने पात-पात की स्थिति का लाभ लेने का मन बनाते हुए उसे छकाने का षडयंत्र तैयार कर लिया है।