– तारा अस्त होने से इस बार विवाह आदि कोई भी शुभ कार्यों के लिए मुहूर्त ही नहीं निकल पाए 

 दैनिक अवंतिका उज्जैन। आज शुक्र रोहिणी योग अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाएगा। इस बार तारा अस्त होने से शादियों के लिए मुहूर्त नहीं है। लेकिन लोग तीर्थ में शिप्रा स्नान, दान-पुण्य, पूजा-पाठ, देव-दर्शन आदि धर्म-कर्म कर सकेंगे। 

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. अमर डिब्बावाला ने बताया शुक्रवार के दिन रोहिणी नक्षत्र, वृषभ के चंद्रमा रहेंगे जिसके अधिपति शुक्र ही है। शुक्र का नक्षत्र भी रोहिणी ही है। इसलिए यह पर्व अन्य धार्मिक कार्यों के लिए पुण्य फलदायी, कार्य में सफलता दिलाने वाला व पद में वृद्धि कराने वाला होगा। ऐसी मान्यता है कि इस दिन किया गया कोई भी धार्मिक कार्य पुण्यकारी व अक्षय होता है। 

सूर्य, गुरु व शुक्र ग्रह एक साथ 

वृषभ राशि पर गोचर भी शुभ 

सूर्य, सोम, यम, काल ये चार विशेष माने जाते है। इस दिन वृषभ राशि पर सूर्य, गुरु, शुक्र यह तीन ग्रह गोचर करेंगे। ऐसे में स्वर्ण, रजत, ताम, अन्न, धन, वस्त्र आदि दान करने से विशेष धन की प्राप्ति व पद की प्राप्ति होती है।

भगवान विष्णु व पितरों के 

लिए ऐसे करें घट का दान

अक्षय तृतीया पर भगवान विष्णु व अपने पितरों के निमित्त दो मिट्टी के घड़े जल से भरकर उस पर खरबूजा रखकर ब्राह्मण को दान करे। पूजन व संकल्प कराकर ब्राह्मण को दक्षिणा भी दे। इसके साथ ही वस्त्र, पात्र, धान्य भी देना चाहिए। यह करने से पितरों का मोक्ष होता है, उन्हें विष्णु लोक की प्राप्ति होती है। परिवार में सुख शांति के साथ में वंश वृद्धि होती है और आर्थिक समस्या का निराकरण होता है।

तृतीया के शुभ मौके पर जल 

सेवा के लिए लगवाएं प्याऊ

भागवत महापुराण के अनुशासन पर्व में लिखा है कि वैशाख मास में पानी पिलाने का विशेष पुण्य प्राप्त होता है। इस दिन धर्मस्थलों, शिवालयों, घाटों, तीर्थ स्थान, मार्गों में जल सेवा हेतु की प्याऊ लगवाए। पशु, पक्षियों के लिए दाना, पानी रखे।