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भगवान महाकाल को गर्मी में ठंडक प्रदान करने के लिए मंदिर के गर्भगृह में मंगलवार को वैशाख कृष्ण प्रतिपदा पर परंपरा अनुसार 11 मिट्टी की मटकिया लगाई गई।  

इन मटकियों पर गंगा, यमुना, ‎सिंधु, सरस्वती, शिप्रा, गोदावरी, नर्मदा, ‎कावेरी, सरयू आदि नदियों के नाम भी लिखे गए। भगवान महाकाल के शिवलिंग के ऊपर वर्षभर ही एक चांदी की मटकी से जलधारा प्रवाहमान रहती है। लेकिन तेज गर्मी में अधिक शीतलता के लिए एक से अधिक मटकी लगाने की परंपरा है। इसलिए इन दिनों में 11 मटकियों से एक साथ जलधाराएं प्रवाहमान की जाती है। प्रतिदिन भस्म आरती के बाद सुबह 6 बजे से‎ संध्या पूजन शाम 5 बजे तक ये मटकियां बंधी रहेगी इसके बाद इन्हें हटा लिया जाएगा।

 

वैशाख और ज्येष्ठ मास में 

भीषण गर्मी से मिलेगी राहत

वैशाख और ज्येष्ठ मास में‎ गर्मी चरम पर होती है। इस भीषण गर्मी में भगवान को शीतलता प्रदान करने के लिए ही यह मटकिया बांधी जाती है। इसे गलंतिका के नाम से भी जाना जाता है। इससे गर्भगृह के अंदर मुख्य शिवलिंग पर सतत जलधारा प्रवाहित होती है।   

ज्येष्ठ पूर्णिमा 22 जून तक 

लगी रहेगी यह मटकिया  

महाकाल मंदिर के पुजारी आशीष गुरु ने बताया कि ये मटकियां पूरी गर्मी यानी वैशाख और ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा यानी 22 जून तक गर्भगृह में लगी रहेगी।