आज पृथ्वी दिवस…घोटाले की भेंट चढ़ रहा प्रकृति का संरक्षण : उज्जैन में 625 करोड रुपए खर्च हो गए, फिर भी शिप्रा मैली की मैली

🪐 शिप्रा शुद्धिकरण की पोल खोलता वीडियो भी हो रहा वायरल

🪐अब फिर 600 करोड रुपए का बजट

🪐पिछले 21 सालों में करोड़ों रुपए चढ़ गए भ्रष्टाचार की भेंट

ब्रह्मास्त्र उज्जैन।

आज पृथ्वी दिवस है। फिलहाल पृथ्वी और उससे जुड़ा पर्यावरण का संतुलन पूरी तरह बिगड़ा हुआ है। सरकार प्रयास करे तो पृथ्वी की सेहत सुधर सकती है, लेकिन किसी भी राजनीतिक दल के झंडे में पर्यावरण सुधार का मुद्दा नहीं होता। पृथ्वी द्वारा प्रदत्त प्राकृतिक चीजों से हम जीवित रहते हैं। पृथ्वी के संरक्षण के लिए कार्य शुरू भी होते हैं, लेकिन उसके फायदे नजर नहीं आते। देश में कई नदियों की सफाई की कवायद चलती रहती है, लेकिन तमाम प्रयास के बावजूद नदी के स्वच्छ होने की खबरें नहीं आती। आती है तो सिर्फ शुद्धिकरण के लिए करोड़ अरबों रुपए का बजट, और फिर वह बजट कब, कहां, कैसे खत्म हो जाता है पता ही नहीं चलता। कहा जा सकता है कि यह बजट घोटाले की भेंट चढ़ जाता है। फिलहाल शिप्रा शुद्धिकरण की पोल खोलता एक वीडियो भी वायरल हो रहा है।

खान नदी का गंदा पानी भी नहीं रोक पाए

उज्जैन में बहती पुण्य सलिला शिप्रा नदी की बात करें तो पिछले 21 सालों में शिप्रा शुद्धिकरण के नाम पर 625 करोड रुपए खर्च हो चुके हैं। फिर भी शुद्धिकरण की बड़ी बात तो दूर, उज्जैन में मिलने वाला कान्ह या खान नदी का गंदा पानी अभी तक नहीं रोक पाए हैं। जिसके कारण शिप्रा का पानी अब आचमन लायक भी नहीं रह गया है। इस मामले को लेकर संत तक मुद्दा उठा चुके हैं। धरना- प्रदर्शन हो चुका है। हर बार बजट तय होता है। कागजों पर तो पैसा खर्च भी होता है, लेकिन शिप्रा शुद्ध नहीं होती।

अब इंदौर जिले से उज्जैन तक शिप्रा शुद्धिकरण की कवायद

एक बार फिर सरकार ने शिप्रा शुद्धिकरण के लिए प्रयास शुरू किए हैं। इसके लिए आगामी सिंहस्थ के मद्देनजर इंदौर जिले से उज्जैन की ओर बहने वाली शिप्रा नदी को पूरी तरह शुद्ध किया जाएगा। इस कार्ययोजना के लिए 600 करोड रुपए का बजट रखा गया है। कागजों पर योजना तैयार हो रही है और बजट के हिसाब से खर्च किया जाएगा। यह महती योजना यदि ठीक ढंग से कार्यान्वित हुई तो शिप्रा शुद्धिकरण के मामले में यह प्रयास मील का पत्थर साबित हो सकता है, अन्यथा शिप्रा जिस तेजी से मैली हो ही रही है, उसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि शुद्धिकरण के लिए बनाया गया यह 600 करोड रुपए का बजट भी कागजी कार्ययोजना और कुछ दिखावटी कार्यों पर खत्म हो जाएगा। पृथ्वी को यदि बचाना है तो शिप्रा सहित कई नदियों के शुद्धिकरण की आवश्यकता है।