एक ही तेल का तीन बार से अधिक उपयोग, दिल,किडनी और दे रहे लीवर रोग

 

-बार-बार एक ही तेल को गर्म कर उससे बनने वाले नमकीन स्वास्थ्य के लिए घातक

उज्जैन। एक ही तेल को कढाही में डाल कर उसे बार-बार गर्म करना और उससे नमकीन बनाने का काम धडल्ले से बाजार में हो रहा है। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया के नियमों के मुताबिक यह स्वास्थ्य के लिए घातक है। इससे कई प्रकार के रोग होने की संभावना रहती है।

बाजार में जो  समोसा, कचौरी, और अन्य प्रकार का नमकीन तला गला ग्राहक को परोसा जा रहा है, उसके लिए उपयोग किया जा रहा तेल कई बार गर्म किया जाता है। नियमानुसार एक तेल को तीन बार से ज्यादा उपयोग नहीं किया जाना चाहिए । उसके बाद उसे वेस्ट के रूप में निकाल दिया जाना चाहिए। फस्साई के इन नियमों पर बाजार में मात्र कुछ प्रतिशत ही व्यवसाई अमल में ला रहे हैं। उससे कई गुना नमकीन व्यवसाई गुपचूप रूप से  एक ही तेल को कई –कई बार उपयोग में लाकर खाने वाले को मोटापा, डायबिटिज, दिल, किडनी,लीवर, कैंसर और ब्लड प्रेशर का रोगी बना रहे हैं।

नहीं की जा रही पंजीबद्ध संस्थाओं पर जांच-

जिले में फूड सेफ्टी विभाग की इसे लेकर जिम्मेदारी है। उसके निरीक्षक नमकीन बनाने वालों के यहां जाकर उपयोग किए जा रहे तेल का रेंडम सेंपल लें और उसकी जांच करवाई जाना चाहिए। राज्य स्तरीय लेब में नमूने भेज कर उसके टीपीसी परिणाम की जानकारी लेकर नियमानुसार कार्रवाई की जाना चाहिए। जिले में फूड सेफ्टी विभाग की और से ऐसा एक भी प्रकरण अब तक जानकारी में नहीं आया है जिसमें नमकीन बनाने में उपयोग किए जा रहे तेल का ऐसा सेंपल लिया गया हो। उसे जांच के लिए भेजा गया हो । विभाग के जिम्मेदार बस वेस्ट तेल लेने के लिए कंपनी को रजिस्टर्ड कर उससे व्यापारियों के अनुबंध की बात करता है। इस वेस्ट तेल से बायो डिजल बनाने की जानकारी सामने आती है।

 

ऐसा तेल इम्युनिटी कमजोर करता है, कैंसर का भी कारक

फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अनुसार एक बार खाद्य तेल के प्रयोग के बाद दोबारा उपयोग करने से कैंसर जैसी बीमारी का खतरा रहता है। तेल को बार-बार गर्म करने से धीरे-धीरे फ्री रेडिकल्स बनने से एंटी आक्सीडेंट की मात्रा खत्म होने लगती है। इसमें खतरनाक कीटाणु जन्म लेने लगते हैं, जो खाने के साथ चिपक कर हमारी सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे बॉडी में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा भी तेजी से बढ़ जाती है। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया की गाइडलाइन के अनुसार खाद्य तेल को तीन बार से ज्यादा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए । टीपीसी 25 फीसदी से ज्यादा होने पर खाद्य तेल खाने योग्य नहीं होता। जानकार बताते हैं कि एक ही तेल को बार-बार गर्म करते हैं तो एल्डिहाइड व जहरीले तत्व बनने लगते हैं। जिससे शरीर में सूजन आने पर इम्युनिटी कमजोर और खाने वाला संक्रमण की चपेट में जल्दआ सकता । तेल गाढ़ा होने से धुआं निकलता है। तेल के खाद्य पदार्थों के खाने से स्ट्राक और सीने में दर्द रहता है। तेल को दोबारा गर्म

करने से पेट और गले में जलन का खतरा रहता है। इस तेल के बने नमकीन एवं खाद्य पदार्थ के उपयोग से इस्तेमाल से मोटापा वजन बढ़ना, दिल की बीमारी हो सकती है।

बाक्स – आकस्मिक घटनाक्रम का एक कारण यह भी-

नाम न छापने की शर्त पर एमडी ह्दय रोग विशेषज्ञ बताते हैं कि अमूमन रोज ही सूनने में आता है कि फलां व्यक्ति आकस्मिक अटैक आने से शांत हो गया या फिर किसी व्यक्‌ति को बुखार आने पर उपचार के लिए अस्पताल ले जाया गया और जांच के दौरान उसकी किडनी खराब होने की जानकारी सामने आई । यही नहीं अन्य बिमारियों में भी ऐसा आजकल अचानक ही सामने आ रहा है। इसके पीछे कारण ऐसे तेल को शरीर के अंग ज्यादा समय तक स्वीकार्य नहीं करते हैं। डाक्टर के मुताबिक वैसे भी तला गला नमकीन खाद्य सामग्री का कम उपयोग स्वास्थ्य के हितकर होता है।