महाकाल आरती के लिए गर्भगृह  में एक पुजारी व दो सहयोगी रहे – वैष्णव देवी, खाटू श्याम, तिरुपति जैसे देश के कई बड़े मंदिरों में यहीं व्यवस्था

 

– इससे दर्शन भी बाधित नहीं होते, भीड़ नहीं होने से व्यवस्था भी बनी रहती है

दैनिक अवंतिका उज्जैन। ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर की आरती के लिए गर्भगृह के अंदर एक पुजारी व उसके दो सहयोगी ही अंदर मौजूद रहे। बाकि सभी लोग गर्भगृह के बाहर व आसपास खड़े रहकर आरती में शामिल हो। तिरुपति बालाजी, खाटू श्याम और वैष्णव देवी जैसे कई मंदिरों में वर्तमान में यहीं व्यवस्था लागू है। महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति भी इस तरह की व्यवस्था लागू करने पर विचार कर रही है। 

इससे दो बड़े लाभ होंगे एक तो भगवान के दर्शन भक्तों को ठीक से हो सकेंगे। साथ ही गर्भगृह में अनावश्यक भीड़ नहीं होने से व्यवस्था भी बनी रहेगी। अभी गर्भगृह में एक दर्जन से अधिक लोग आरती में मौजूद रहते हैं जिसमें पंडे-पुजारी, सेवक, प्रतिनिधि और समिति के कर्मचारी शामिल हैं। इससे पूरा गर्भगृह भीड़ से पटा नजर आता है। कई बार भक्तों को दूर से भगवान के ठीक से दर्शन तक नहीं हो पाते है। पुजारी को भी आरती-पूजा करने में असुविधा महसूस होती है। भीड़ में धक्का लगने से आरती-पूजा प्रभावित हो सकती है।  

होली पर हादसे की जांच में कई बिंदू 

सामने आए जिससे बदलाव जरूरी

महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष एवं कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने कहा कि होली पर भस्मारती के दौरान हुई आग लगने की घटना की जब जांच कराई गई तो यह बिंदू भी सबसे महत्वपूर्ण सामने आया है कि गर्भगृह में अनावश्यक लोगों की भीड़ मौजूद थी जबकि उनका वहां कोई काम नहीं था। आरती के दौरान इस भीड़ से गर्भगृह के अंदर धक्का-मुक्की व भारी अव्यवस्था हो रही थी और आग लगने के दौरान किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। 

कलेक्टर बोले – गर्भगृह में भीड़ 

नहीं होते तो इतने लोग नहीं जलते

कलेक्टर सिंह ने कहा कि जांच में यहीं मुख्य बिंदू सामने आ रहे हैं कि यदि गर्भगृह में अनावश्यक भीड़ नहीं होती तो शायद इतने लोग आग की चपेट में नहीं आते और झूलसते भी नहीं। साथ ही पुजारी जो आरती कर रहा था उसे भी इधर-उधर होने का मौका मिलता। लेकिन घटना के समय के जो सीसी टीवी के फुटेज देखे गए है उसमें तो चारों तरफ भारी भीड़ नजर आ रही है। वहां इतने लोग थे कि पुजारी और उसके आसपास खड़े किसी को भी कुछ समझ नहीं आया। इन सारे बातों को ध्यान में रखते हुए अब देश के बड़े मंदिरों की तर्ज पर यहां भी व्यवस्था बनाने का प्रयास किया जा रहा है। 

फिलहाल प्रतिनिधि और सेवकों पर 

रोक, आगे पुजारी-पुरोहितों का नंबर 

घटना के बाद मंदिर समिति ने गर्भगृह में प्रतिनिधियों एवं सेवकों के जाने पर रोक लगा दी है। अब प्रशासन पुजारियों और पुरोहितों की संख्या कम करने की तैयारी कर रहा है। अफसरों का कहना है कि गर्भगृह में आरती करने वाला पुजारी ही रहे और उसके सहयोगी के रूप में एक या दो अन्य लोग मौजूद रहे बाकि सब बाहर हो। हालांकि अभी इसे लागू नहीं किया है इस पर सब की राय से समिति की बैठक में चर्चा कर निर्णय लिया जाएगा।