दुकानों पर मोटू पतलू और स्टेनगन, ये हैं पिचकारियों के नाम

रंग गुलाल की दुकानें सजी, सौ से अधिक स्थानों पर होगा होली का दहन

ब्रह्मास्त्र उज्जैन

शहर में होली का रंग चढ़ने लगा है क्योंकि बाजारों में रंग गुलाल की दुकानें सज गई है। हालांकि अभी ग्राहकी में तेज नहीं होने की बात संबंधित व्यापारियों ने कही है लेकिन आगामी दो तीन दिनों में ग्राहकी अच्छी होने की भी उम्मीद जताई जा रही है।

इधर बच्चों के लिए मोटू पतलू, स्टेनगन जैसे नामों की पिचकारियां दुकानों पर बिकने के लिए आई है। व्यापारियों का कहना है कि बच्चों की पसंद के अनुसार पिचकारियां है। हालांकि बीते वर्ष की तुलना में भाव कुछ अधिक होने की भी जानकारी सामने आई है लेकिन व्यापारियों का यह भी कहना है कि बच्चों की पसंद का ख्याल रखा गया है इसलिए बच्चे अपनी पसंद के अनुसार पिचकारी अवश्य ही खरीदेंगे। गौरतलब है कि शहर में करीब सौ से अधिक स्थानों पर होली का दहन होगा और इसकी तैयारियां भी शुरू हो गई है।

आज भी होली तापने आते है राजा भर्तृहरि
महाकाल की नगरी उज्जैन में सिंहपुरी की होली करीब तीन हजार वर्ष पुरानी है। मान्यता है कि यहां आज भी राजा भर्तृहरि होली तापने के लिए आते हैं। यहां के बुर्जुग बताते हैं कि यहां करीब पांच हजार गोबर के कंडों की होली सजाई जाती है और इसमें किसी भी तरह से लकड़ी का उपयोग नहीं होता है। इसके अलावा होली जलाने के लिए चकमक पत्थर का ही इस्तेमाल किया जाता है। सिंहपुरी की होली 3000 सालों से पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रही है। यहां पांच हजार कंडों से होलिका सजाई जाती है। कंडा होली का जितना महत्व पर्यावरण संरक्षण के लिए है, उतना ही घर की सुख-समृद्धि के लिए भी है। कंडा होली के निर्माण तथा पूजन से घर-परिवार में व्याप्त समस्त प्रकार की नकारात्मकता नष्ट होती है और सुख-समृद्धि के साथ खुशहाली आती है। सिंहपुरी की होली का उल्लेख श्रुत परंपरा के साहित्य में तीन हजार साल पुराना है।

बिजली लाइनों के नीचे होलिका दहन न करें
मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने नागरिकों से सुरक्षित होलिका दहन के लिये अपील की है। कंपनी ने कहा है कि बिजली के खंभे, ट्रांसफार्मर या फिर बिजली की ऐसी लाइनें जिसमें विद्युत प्रवाहित होती है, उनके नीचे होलिका दहन न करें। लाइनों के नीचे होलिका दहन से दुर्घटना की संभावना सदैव बनी रहती है। कंपनी ने सभी ग्रामीण एवं शहरी उपभोक्ताओं से अपील की है कि होलिका का आयोजन और होलिका दहन बिजली लाइनों से कुछ हटकर अन्य स्थान पर ही करें। आग की लपटों से एल्यूमिनियम तारों एवं बिजली केबल के गलने, जलने और टूटने की संभावना सदैव रहती है। इनके टूटने या गिरने से कोई भी बड़ी अप्रत्याशित घटना घट सकती है। कंपनी ने सभी बिजली उपभोक्ताओं एवं नागरिक बंधुओं से अपील है कि होलिका दहन बिजली की चालू लाइनों, उपकरणों से दूर करें और प्रसन्नता से त्यौहार मनाये।