4 एवं 5 मार्च को सुमति धाम में होगी वस्तुत्व महाकाव्य पर राष्ट्रीय विद्बत संगोष्ठी


इंदौर। सुमति धाम गोधा स्टेट गांधीनगर में होने वाले पंचकल्याणक की पूर्व वेला में दिनांक 4 एवं 5 मार्च को आगम एवं चर्या शिरोमणि आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज ससंघ के सानिध्य में उनके द्वारा रचित कृति वस्तुत्व महाकाव्य पर एक राष्ट्रीय विद्बत संगोष्ठी होगी जिसमें स्थानीय एवं देश के विभिन्न स्थानों से आमंत्रित लगभग 20 विद्वान वस्तुत महाकाव्य मैं समाहित विभिन्न विषयों पर अपने शोध परक आलेखों का वाचन करेंगे।
गोष्ठी के संयोजक जैन दर्शन के मनीषी विद्वान डॉक्टर श्रेयांश कुमार जैन (बड़ौत उत्तर प्रदेश) हैं, उन्होंने बताया
कि वस्तुत्व महाकाव्य प्रणेता आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज बहु प्रतिभा संपन्न शताब्दी देशनाकार होने के साथ -साथ श्रुतोपासक एवं दीर्घ श्रुत साधक भी हैं और आपने शताधिक आध्यात्मिक शास्त्रों का सृजन किया है, आप काव्य कला के महाकवि भी हैं और आपने 5000 से अधिक कविताएं भी लिखी है जो विविध काव्य संग्रह में प्रकाशित हैं उनमें वस्तुतः महाकाव्य भी एक महाकाव्य है जो न केवल ज्ञान का सागर है बल्कि 12 खंड में विभाजित वस्तुके वस्तुत्व (भाव) का शंखनाद कर उसके गहरे रहस्य को उद्घाटित करने वाला 1200 कविताओं का एक ऐसा महाकाव्य है जो अज्ञान के तिमिर को हटाकर आत्म दर्शन कराता है
दिगंबर जैन समाज सामाजिक संसद के मंत्री एवं आचार्य श्री के चरणसेवी एवं प्रशंसक डॉक्टर जैनेंद्र जैन ने वस्तुत्व महाकाव्य के संबंध में कहा कि महाकाव्य में प्रकाशित कविताएं प्राचीन भारत के गौरव को रेखांकित करने वाली और जन सामान्य को जीवन जीने की कला सिखाने वाली ऐसी प्रभावशाली संजीवनी स्वरूप है जिसके पठन-पाठन से व्यक्ति को व्यसनमुक्त ,तथा हिंसा, अहंकार और आडंबर विहीन धर्ममय और सात्विक एवं शाकाहारी जीवन जीने की प्रेरणा प्राप्त होती है।

जिस प्रकार आचार्य श्री के साहित्य में प्रवचनों में धर्म और आध्यात्म की सुरभि और विश्व शांति एवं विश्व मैत्री की कामना के साथ प्राणी मात्र के कल्याण का संकल्प प्रकट होता है उसी प्रकार वस्तुत्व महाकाव्य में प्रकाशित काव्यों के माध्यम से मनुष्य के जीवन को आज हम जिन जीवन मूल्यों से संस्कारित होने की भावना भाते हैं उन्हीं शांतिप्रिय, अहिंसक और सद्भावना पूर्ण जीवन जीने की अनुगूंज सुनाई देती है।
गोष्ठी में आमंत्रित प्रमुख विद्वान है, डॉक्टर नलिन के शास्त्री लाडनूं,जय कुमार निशांत टीकमगढ़, श्रीमती तेजस्विनी जैन मैसूर, प्रोफेसर उदयचंद जैन उदयपुर, डॉ दिनेश जैन भिलाई एवं डॉ अनुपम जैन, पंडित रमेश चंद बांझल , डॉ संगीता मेहता, डॉ महेंद्र जैन मनुज एवं पंडित विकास छाबड़ा सभी इंदौर
श्रीमान संपादक कृपया समाचार प्रकाशित करने कृपा करें। धन्यवाद राजेश जैन दद्दू, धर्म समाज प्रचारक