April 25, 2024

ब्रह्मास्त्र उज्जैन। करीबन 7 माह पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उज्जैन सहित सात शहरों में मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा की थी। घोषणा होने के बाद उसकी फाइल बंद कर आगे बढ़नी थी, परंतु मामला सिर्फ घोषणा पर ही अटक गया। अब तक कुछ भी नहीं हुआ है। ऐसा लग रहा है जैसे जिम्मेदार भी इस मामले को भूल गए हैं। उन्हें चाहिए था कि वह मेडिकल कॉलेज के संदर्भ में मामला आगे बढ़ाते, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब सरकार की प्राथमिकता में फिलहाल उज्जैन का यह मेडिकल कॉलेज नहीं दिखाई दे रहा है।
उज्जैन भले ही विश्व के पर्यटन मानचित्र में प्रमुख है, लेकिन स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में शहर की लगातार उपेक्षा की जा रही है। जब चिकित्सा सेवाओं की बात आती है, तो इंदौर की ओर रुख करना पड़ता है। फिर चाहे कोरोना काल की बात हो या उसके पहले जब – जब भी कोई गंभीर रोग की बात होती है तो लोगों को इंदौर जाने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
गत 19 मई को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उज्जैन में मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा की थी। कोरोना काल में लोगों को विश्वास भी हो चला था कि अब शहर में एक पूर्ण मेडिकल कॉलेज होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मुख्यमंत्री घोषणा करके रह गए और उनकी घोषणा को उन लोगों ने ही फॉलो नहीं किया, जो सत्ता से जुड़े हैं और सरकार का अंग हैं। वे अगर चाहते तो मुख्यमंत्री की इस घोषणा को पंख लगा सकते थे। घोषणा हुए लगभग 7 माह के ऊपर हो गए हैं, लेकिन अभी तक मामला सिर्फ घोषणा पर ही अटका हुआ है। वास्तव में, राजनीतिक नेताओं से लेकर शहर के विकास के लिए अभियान चलाने वालों तक, उनमें से किसी ने भी इसे एक विकसित गांव से ज्यादा कुछ नहीं माना। राज्य से लेकर केंद्र तक स्थानीय नेता शीर्ष पर पहुंचे, लेकिन स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर यह शहर आज भी जीरो पर खड़ा है। यहां सरकारी मेडिकल कॉलेज खोलना समय की मांग है। छोटी-मोटी बीमारियों के लिए भी इंदौर भागना पड़ता है, क्योंकि शहर में अनुभवी और चिकित्सा विशेषज्ञों की कमी है।
समय की इस दौड़ में कई बार जान भी चली जाती है। कई मरीज आवश्यक इलाज से पहले ही रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं, जबकि कुछ ऐसे भी होते हैं जो इंदौर जाने और इलाज का खर्च वहन करने में असमर्थ होते हैं। समय पर इलाज न मिल पाने और अपनों को खोने का बेबस अहसास उनके बाकी जीवन को चुभता है।