जेल में 11 सौ बंदियों की कलाई पर बहनों ने बांधी राखी भैरवगढ़ में मनाया गया रक्षाबंधन का पर्व

उज्जैन। भाई-बहनों के स्नेह का प्रतिक रक्षाबंधन का पर्व बुधवार को केन्द्रीय जेल भैरवगढ़ में मनाया गया। भद्रा काल होने पर भी हजारों की संख्या में बहने सुबह से पहुंच गई थी। उन्होने भाईयों की कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर आगे से अपराध नहीं करने का वचन लिया।
केन्द्रीय जेल अधीक्षक मनोज साहू ने बताया कि प्रतिवर्षानुसार इस बार भी जेल में रक्षाबंधन पर्व मनाए जाने की व्यवस्था की गई थी। सुबह से ही बहनों का जेल परिसर में पहुंचना शुरू हो गया था। सुबह 8 बजे बाद रक्षाबंधन पर्व की शुरूआत की गई और बहनो को मुलाकात कक्ष में प्रवेश दिया गया। जहां बहनों ने अपने भाईयों की कलाई पर राखी बांधी। इस दौरान बहनों ने भाईयों की आरती उतारी और मुंह मीठा कराया। बहनों को राखी, मिठाई और नारियल लाने की अनुमति दी गई थी।  वहीं अन्य सामान की व्यवस्था जेल प्रशासन की ओर से की गई थी। दोपहर 3 बजे तक रक्षाबंधन का पर्व जेल में मनाया गया। इस दौरान 23 सौ से अधिक बहनों ने 11 सौ भाईयों को राखी बांधी। जेल अधीक्षक के अनुसार पिछले वर्षो की तुलना में इस बार बहनों की संख्या कम दिखाई दी। जिसके वजह भद्राकाल होना प्रतीत हो रहा है। जेल में हिन्दू बहनों के साथ मुस्लिम बहने भी पहुंची थी, जो जिले के साथ प्रदेश के अन्य शहरों से भी आई थी।  अपराध नहीं करने का लिया वचन केन्द्रीय जेल में अपराध करने वालों का सजा के तौर पर रखा जाता है। रक्षाबंधन पर भाईयों की कलाई पर रक्षासूत्र बांधने पहुंची बहनों की भाईयों से मुलाकात होने पर उनकी आंखे नम हो गई थी। बहनों राखी बांधने के साथ उपहार में भाईयों से वचन लिया कि आगे से अपराध नहीं करेगें और आगामी राखी परिवार के साथ घर पर बनायेगें। भाईयों की आंखे भी नम थी, लेकिन बहनों से मिलने की खुशी उनके चेहरों पर साफ दिखाई दे रही थी। उन्होने बहनों से अपराध नहीं करने का वादा किया। रात 9 बजे शहर में मना रक्षाबंधन पर्व रक्षाबंधन पर्व पर भद्रा का साया होने पर दिनभर भाईयों की कलाई सुनी बनी रही, रात 9 बजे भद्रा के समाप्त होने पर रक्षाबंधन पर्व की शहर में शुरूआत हुई और देर रात तक घरों में पर्व मनाने का सिलसिला चलता रहा। इससे पहले सुबह से बाजारों में रौनक बनी हुई थी, बहनों और माताओं की रक्षासूत्र की दुकानों पर भीड़ बनी हुई थी। वही फल, मिठाई और उपहारों की दुकानें भी गुलजार दिखाई दे रही थी। इंतजार किया जा रहा था तो भद्रा समाप्त होने का। रक्षाबंधन का पर्व आज भी मनाया जाएगा और जन्माष्टमी तक चलेगा।