यूएमसी की 20 दुकान चली नहीं,यूडीए 36 चलाने की जुगत में

दोनों की सब्जी मंडी में करोडों अटके,एक बार फिर विकास प्राधिकरण जोर अजमाईश में

उज्जैन । नगर निगम और उज्जैन विकास प्राधिकरण एक से प्रोजेक्ट में मात खा रहे हैं।फिर भी जोर आजमाईश का दम भरा जा रहा है।नगर निगम का एक दशक पूर्व बना फूड जोन फेल हो चुका है और विकास प्राधिकरण इंदौर के 56 दुकान की तर्ज पर 36 को बनाकर चलाने की तैयारी कर रहा है।इसे संयोग ही कहा जाएगा कि अब तक तो एक से प्रोजेक्ट में दोनों को ही आर्थिक नुकसान ही उठाना पड़ा है।

नगर निगम ने वर्ष 2010-11 में देवास रोड पर तरणताल के समीप 20 दुकानों का निर्माण कर फूड जोन बनाया था। इन दुकानों को मासिक किराया और न्यूनतम प्रवेशाधिकार शुल्क पर आवंटित किया गया था।तत्कालीन दौर में नगर निगम को 85 लाख से अधिक की राशि इसके न्यूनतम प्रवेशाधिकार शुल्क से प्राप्त हुई थी।शुरूआत तो यहां बेहतर हुई लेकिन एक दशक के बाद यहां ग्राहकों के अते पते नहीं रहते हैं।दुकानधारी को मासिक किराया भारी पड़ रहा है।फूड जोन की दुकानों से ज्यादा ग्राहकी तो शाम को देवास एवं कोठी रोड पर लगने वाले ठेले गुमटी को मिल रही है।

इंदौर के 56 दुकानों की तर्ज पर उज्जैन में 36 दुकान

नानाखेडा पेट्रोल पम्प के पीछे निर्मित किये जाने वाले फूड झोन में कुल 36 दुकानों का निर्माण किया जावेगा, तथा प्रत्येक दुकान का क्षेत्रफल लगभग 12 वर्ग मीटर रहेगा। फूड झोन में आने वाले लोगों के लिये विशेष प्रावधान किये गये है, जिसमें बच्चों एवं महिलाओं के लिये दुकानों के सामने बैठक व्यवस्था रखी गई है साथ ही बच्चों के लिये ओपन स्पेस आदि का भी प्रावधान किया गया है। फूड झोन का पुरा क्षेत्र नो-व्हीकल झोन रहेगा जिसमें बच्चों एवं महिलाओं को काफी सुविधा रहेगी। फूड झोन निर्माण के टेण्डर भी जारी कर दिये गये है। फूड झोन का निर्माण कार्य 6 माह में पूर्ण कर लिया जावेगा।फूड झोन का सर्वश्रेष्ठ नाम देने वाले को 21हजार का पुरस्कार देने की घोषणा विकास प्राधिकरण अध्यक्ष श्याम बंसल ने करते हुए नामकरण के लिये आम लोगों से 20जुलाई तक प्रस्ताव मांगे थे।अधिकृत सूत्रों का कहना है कि आमजन ने प्रस्ताव भेज दिए हैं लेकिन नामकरण को लेकर अभी अंतिम निर्णय शेष है।दावा किया जा रहा है कि नानाखेडा क्षेत्र में बनने वाले इस फूड झोन से क्षेत्र में विकास में काफी योगदान मिलेगा तथा बडी संख्या में लोगों को रोजगार भी मिलेगा।

एक से प्रोजेक्ट, दोनों के करोडों डूबे

इसे समय की मार कहा जाए या संयोग कि जिसके कारण नगर निगम और विकास प्राधिकरण दोनों को ही करोडों की हानि उठाना पड़ी हो।फूड जोन तो सामने है ही। इसके अतिरिक्त नगर निगम ने एक थोक सब्जी मंडी का निर्माण खाद ठिया आर्य समाज मार्ग पर 2 करोड की लागत से किया था।डेढ दशक से अधिक समय उपरांत भी इस मंडी का कोई उपयोग नहीं है। बरसात में पानी घुस जाता है और पूरी मंडी अब भंगार की स्थिति में आ चुकी है। इसी तरह डेढ दशक पूर्व विकास प्राधिकरण ने भी नानाखेड़ा क्षेत्र में सब्जी मंडी का निर्माण किया था।करीब डेढ करोड की लागत से इसे बनाया गया यहां तक की सब्जी मंडी के ठिए भी आवंटित कर दिए ।अब हाल यह है कि यहां एक भी सब्जी की दुकान नहीं लगती।इसकी बजाय मंगलवार को सड़क पर दुकान लगाने वाले बेहतर व्यवसाय करते हैं। विकास प्राधिकरण का पैसा जरूर लगा हुआ है।साथ ही करोडों की जमीन अलग उलझी हुई है।