April 19, 2024

इंदौर में पैरालिसिस का नई तकनीक से इलाज

इंदौर। सर्वाइकल बीमारी से परेशान एक बुजुर्ग को पैरालिसिस (लकवा) को नई टेक्नोलॉजी से चार हफ्ते में ही ठीक करने का मामला सामने आया है। यह संभवत: प्रदेश का पहला मामला है, जिसमें कायरोपैथी तरीके से इलाज किया। मरीज अब न सिर्फ खुद ही चलने-फिरने लगा है, सामान्य तरीके से भोजन कर रहा है।
इससे पहले स्थिति यह थी कि उनका अपने हाथ-पैर पर कंट्रोल नहीं था। चलने-फिरने में लाचार थे। डॉक्टरों ने सर्जरी के दौरान एक और स्ट्रोक आने की आशंका जताई। पहले कहा गया कि अगर ऐसा हुआ तो पूरी तरह बिस्तर पर रहेंगे, जान भी जा सकती है। पर टेक्नोलॉजी के जरिए यह मुश्किल बीमारी पर जीत हासिल कर ली गई है।
इंदौर संभाग के 61 साल बुजुर्ग बैंक कर्मी के बेटे ने बताया सितम्बर 2022 में पिताजी को चलने-फिरने में मामूली परेशानी हुई। थकान समझकर ध्यान नहीं दिया। पिछले महीने वे घर पर थे। तभी उन्हें स्ट्रोक आया। हाथ-पैर से कंट्रोल हट गया।
ऐसे में वे खाने-पीने और चलने-फिरने में असमर्थ हो गए थे। इंदौर के एक प्राइ‌वेट अस्पताल में दिखाया और एमआरआई जांच कराई। इसमें पता चला कि उनकी गर्दन के पास की एक डिस्क खिसक गई है। उसने नर्व को दबा दिया है। इससे उन्हें पैरालिसिस का अटैक आया है।

इंदौर में कोरियोग्राफी से हुआ इलाज

परिजन उन्हें इंदौर के स्पाइन व न्यूरो सेंटर में दिखाया। चूंकि मरीज की एमआरआई जांच हो चुकी थी इसलिए यहां डॉक्टर ने उसे देखा और कहा कि सर्जरी कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी, लेकिन एक से दो महीने तक कोरियोग्राफी तरीके से इलाज करवाना होगा।
इसमें थ्रीडी टेक्नोलॉजी के तहत एडवांस मशीन से इलाज होता है और सर्जरी, मेडिसिन की जरूरत नहीं पड़ती। परिजन की सहमति के बाद सेंटर पर इलाज शुरू किया गया और चार हफ्ते बाद ही मरीज को आराम मिलने लगा और खुद चलने-फिरने व भोजन करने लगे।