April 27, 2024

संसद तक में लगे आरोपों के जंजाल की पड़ताल करती रिपोर्ट

 

हिंडनबर्ग रिपोर्ट को निकले एक महीने से ज्यादा हो चुका है, लेकिन अभी भी एक के बाद एक नए आरोप लगते जा रहे हैं गौतम अडानी के ग्रुप पर। कुछ दिन पहले की बात है विकिपीडिया ने अडानी पर यह कहते हुए आरोप लगाया कि उन्होंने अपने विकिपीडिया पेजेस को मेनूप्लेट किया। फर्जी अकाउंट्स और अनडिक्लेयर्ड पैड एडिटर का इस्तेमाल करके। इससे पहले हाल ही में संसद में भी इसकी चर्चा हुई, जब राहुल गांधी और टीएमसी लीडर महुआ मोइत्रा ने सवाल किए। प्रधानमंत्री मोदी और अडानी के रिश्ते को लेकर यहां एक फोटो भी दिखाई गई। जिसके बाद काफी हल्ला मचा और बाद में राहुल गांधी के रिमॉर्क को संसद के रिकॉर्ड से हटा भी दिया गया। आखिर क्या है यह आरोप और कितना सच है यह ? सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही अडानी के मायाजाल तथा आरोपों के जंजाल पर पड़ताल करती यह रिपोर्ट–
ब्रह्मास्त्र44 नई दिल्ली
पूरा का पूरा धन एक व्यक्ति के हाथ में जा रहा है। यह पहली बार तो नहीं है कि किसी बड़े कॉपोर्रेट ग्रुप के खिलाफ बड़े-बड़े आरोप लगाए जा रहे हों। इससे पहले हर्षद मेहता स्कैम, सत्यम स्कैम, सहारा स्कैम, विजय माल्या के ऊपर ऐसे आरोप लगाए गए, ललित मोदी के बारे में कहा गया, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी । सरकार के ऊपर भी ऐसे ही आरोप लगे हैं, बोफोर्स घोटाला, अगस्तावेस्टलैंड स्कैम, 2जी स्पेक्ट्रम स्कैम, कॉमनवेल्थ गेम्स स्कैम। लेकिन इस बार जो हो रहा है ,देश के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ। यह पहली बार है कि किसी एलेजिट स्कैम में जनता के पैसे डूबे हों, और जनता में से कुछ लोग खड़े होकर इन्वेस्टिगेशन डिमांड करने की जगह उस कंपनी को या सरकार को ही डिफेंस करने के लिए खड़े हो गए। ट्वीटर पर ट्रेंड चलाया जाता है # आई स्टैंड बिथ अडानी। यह लोग जो अडानी के फेवर में खड़े हो रहे हैं, यह लोग अडानी के एंप्लाइज होते या अडानी के स्टॉफ में, या जिन लोगों ने निवेश किया है वह लोग होते, तो कुछ हद तक बात समझ में आती है। लेकिन, कुछ लोग न तो अडानी के एंप्लाइज हैं, न ही उनके निवेशक। इसके बावजूद अडानी को डिफेंस करने के लिए सबसे पहले खड़े होते हैं। अगर कोई कामनवेल्थ या इसी तरह के अन्य घोटाले पर यह कहे कि इसकी जांच नहीं होनी चाहिए, सवाल पूछना बंद करो, यहां कुछ गलत नहीं हुआ है! तो, कैसा लगेगा? यहां सबसे बड़ा घोटाला तो लोगों के दिमाग के साथ किया गया है। बेसिक लॉजिक, कॉमनसेंस और डेमोक्रेसी की बेसिक अंडरस्टैंडिंग को खत्म कर दिया गया है।
टैक्स देने में अडानी ग्रुप फिसड्डी
टैक्स देने में भारत की टॉप कंपनियों में जिन के नाम है वह है, रिलायंस, एसबीआई, टीसीएस, एचडीएफसी बैंक, वेदांता, जेएसडब्ल्यू स्टील, इंडियन आॅयल कॉरपोरेशन, टाटा स्टील, एलआईसी, इंफोसिस कोल इंडिया। यहां का नाम तो कहीं नही आता। ेङ्मल्ली८ ूंल्ल३१ङ्म’.ूङ्मे के अकॉर्डिंग अडानी इंटरप्राइजेज का प्रॉफिट 12 महीने के लिए मार्च 2022 में था 1113 करोड रुपए। बाकी सारी कंपनियां जितना टैक्स देती है अडानी का उतना प्रॉफिट भी नहीं है।
अडानी का भारत के विकास में क्या और कितना योगदान? – इन लोगों का कहना है कि अडाणी पर सवाल मत करो, क्योंकि अडानी एक भारतीय बिजनेसमैन है। उसने कई लोगों को नौकरियां दी है। भारत के विकास में हाथ बंटाया है। इसके लिए अडानी ग्रुप को थोड़ा सा समझना जरूरी है कि अडानी का भारत के विकास में क्या योगदान है। अडानी एक समय दुनिया के दूसरे सबसे धनी आदमी थे। उस वक्त इनकी नेटबर्थ 12.44 लाख करोड़ रुपए थी। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद काफी घटी है। नेटबर्थ अभी भी 4.3 लाख करोड़ रुपए है। इतनी सारी कंपनियां इनके अंदर है तो इनकी सारी कंपनियां बहुत सारे लाखों लोगों को जॉब दे रहे होंगी न, सोचकर तो यही लगेगा! लेकिन, अडानी की खुद की वेबसाइट बताती है कि अडानी ग्रुप के 23000 लोगों को रोजगार देता है सिर्फ 23000। जबकि नंबर वन प्राइवेट कंपनी जो सबसे ज्यादा जॉब प्रोवाइड करती है इंडिया में वह टाटा ग्रुप की कंपनी नौ लाख से ज्यादा जॉब, इंफोसिस 3 लाख जॉब्स, रिलायंस इंडस्ट्रीज 2,36000, विप्रो 231000 जॉब। अडानी का नाम यहां पर टॉप 25 लिस्ट में भी नहीं आता। सरकारी कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड 2.7 लाख और रेलवे में 12.5 लाख एम्प्लाई, अमूल जैसी कंपनी प्रोवाइड करती है 3600000 किसानों को। एग्रीकल्चर सेक्टर में 15 करोड़ से ज्यादा लोग रोजगार में हैं। इतना बड़ा कॉन्ट्रिब्यूशन नहीं है अडानी ग्रुप का इंडिया में जॉब देने में।
ॅ कोल घोटाले का भी आरोप- चौथा आरोप लगाया गया है कोल घोटाला का। प्रधानमंत्री मोदी जब विदेशी दौरों पर जाते हैं और वे इंडियन कंपनी के लिए काम नहीं करते हैं तो वह अडानी के फायदे के लिए काम करते हैं। ऐसे आरोप विपक्षी नेता ही नहीं लगा रहे हैं, बल्कि भाजपा के भी कुछ नेता लगा रहे हैं। भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कोल माइंस घोटाले को उजागर करते हुए यही आरोप लगाया। उसी वक्त कांग्रेस नेता गौरव भल्ला ने भी आरोप लगाया था कि सरकार अपने दोस्तों को लाभ पहुंचाने के लिए काम कर रही है। खुद कोल अधिकारियों ने ही बताया था कि जो घरेलू कोयला है वह 1700 से 2000 रुपए पर टन। अडानी द्वारा कोयला दिया जाता है, उसकी कीमत पड़ती है 17000 से 20000 टन तक यानी यदि इंपोर्टेड कोयला सरकार द्वारा यूज करने के लिए कहा जाए तो उसकी कीमत 10 गुना पड़ती है।
ॅ विदेशों से जुड़े घोटाले भी- ऐसा ही एक और घोटाला श्रीलंका के साथ जुड़ा हुआ सामने आया है। श्रीलंका की सरकार एक मेमोरेंडम आॅफ कॉपोर्रेशन साइन करती है। फिर उसे कैंसिल किया जाता है और वही समझौता श्रीलंका सरकार और अडानी के बीच किया जाता है। यह ऐसा अकेला विदेशी प्रोजेक्ट नहीं है। जो अडानी के पास गया हो। इसके अलावा भी कई और एयरपोर्ट और इलेक्ट्रिसिटी से जुड़े प्रोजेक्ट हैं जो अडाणी के पास गए। इसी तरह टेक्स चुकाने में भी अडानी ग्रुप की गड़बड़ी सामने आई है।
ॅ अडानी के भाई विनोद अडानी और एक चाइनीस भी संदेह के घेरे में- टीएमसी नेता कोइना मित्रा ने संसद में आरोप लगाया था कि उन्होंने 2019 में भी यह बात उठाई थी कि शैल कंपनियों ने अडानी ग्रुप में निवेश किया है। इस बात की जांच की जानी चाहिए, परंतु अभी तक जांच क्यों नहीं की गई? इन शैल कंपनियों को संचालित करते हैं अडानी के भाई विनोद अडानी और एक चाइनीस। इन आरोपों को लेकर अडानी ग्रुप ने कोई सफाई नहीं दी है। आरोपों की लिस्ट तो बहुत लंबी है। फिलहाल यह समझना ही काफी है कि संसद में कई आरोप लगाए गए। विपक्ष ने संयुक्त संसदीय जांच समिति बनाने की मांग की थी। परंतु कोई जांच नहीं की गई।
जमीन घोटाला:
आपसी मिलीभगत
संसद में लगाए गए आरोपों में सबसे पहला आरोप है जमीन घोटाले का
गुजरात में अलग-अलग इंडस्ट्रियल ग्रुप्स को जमीन की जरूरत थी। अलग-अलग प्रोजेक्ट करने के लिए। जैसे केएल रहेजा ने जमीन खरीदी 470 रुपये पर स्क्वायर मीटर के हिसाब से। मारुति सुजुकी को जमीन मिली 670 रुपये पर स्क्वायर मीटर के साथ। इंडिया टाटा मोटर्स, टीसीएस ने करीब 1100 मीटर के हिसाब से जमीन खरीदी। 6000 रुपये पर स्क्वायर मीटर तक जमीन बिकी, परंतु जब अडानी ने पोर्ट बनाने के लिए जमीन खरीदी तो इस जमीन का प्राइस 1 रुपये पर स्क्वायर मीटर। 26 अप्रैल 2014 के बिजनेस स्टैंडर्ड के आर्टिकल में यह बात कही गई है। एक और जमीन घोटाला सामने आया जिसमें कहा गया कि गुजरात सरकार ने फॉरेस्ट की जमीन को क्लासिफाई नहीं किया, जिसकी वजह से करीब 58.64 करोड़ रुपये का बेनिफिट पहुंचा गौतम अडानी प्रमोटेड मुंद्रा पोर्ट को।
एयरपोर्ट घोटाला :
सब के सब अडानी के पास
सरकार ओएनजीसी को कहती है कि आॅयल और गैस चीज को प्राइवेटाइज करो। अपने आप में एक बहुत बड़ा मुद्दा है। एयरपोर्ट के प्राइवेटाइजेशन पर नवंबर 2018 में एक कमेटी बनाई गई। पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप कमेटी ने दो फैसले किया। पहला जो भी कंपनी इन एयरपोर्ट को खरीदेगी ,उन्हें पहले से कोई एक्सपीरियंस होने की जरूरत नहीं है और दूसरा कोई रिएक्शन नहीं है कि एक कंपनी कितने एयरपोर्ट की फिटिंग कर सकती है। उसके बाद हुआ क्या कि सारे के सारे 6 एयरपोर्ट अडानी के पास। कंपनी के पास कोई एक्सपीरियंस भी नहीं था। सरकार द्वारा नवंबर 2018 में 6 एयरपोर्ट के निजी करण को प्रस्तावित किया जाता है। सवाल यह भी है कि जो एयरपोर्ट प्रॉफिट कमा रहा है उसका निजी करण क्यों किया जाता है?
नवी मुंबई एयरपोर्ट के लिए तो बैंक ने अडानी के लिए अंडर राइट किया यानी बैंक खुद लोन देने को तैयार है। अगर कोई घाटा होता है तो बैंक खुद उसे सहन करेगी। इससे बड़ा गोल्डन चांस और क्या हो सकता है।