April 19, 2024

देवास। कृष्णाजीराव पवार शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा उच्च शिक्षा गुणवत्ता उन्नयन प्रकोष्ठ के अंतर्गत विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष मनीष पारीक, सांसद प्रतिनिधि नयन कानूनगो, मुख्य वक्ता डॉ शैलेंद्र पाराशर सेवानिवृत्त आचार्य विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन, महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ रतन सिंह अनारे, राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ राजेंद्र मराठा, नेक प्रभारी डॉ एस पी एस राणा, गुणवत्ता उन्नयन प्रकोष्ठ प्रभारी डॉ संजय गाडगे, डॉ लता धुपकरिया मंच पर उपस्थित रहे। कार्यक्रम की विस्तृत रूपरेखा डॉ लता धूपकरिया तथा अतिथि अतिथि परिचय डॉ सीमा सोनी प्राध्यापक राजनीति विज्ञान द्वारा प्रस्तुत किया गया। मंच पर आसीन अतिथियों का स्वागत भाषण तथा विषय प्रवर्तन विभागाध्यक्ष डॉ आरके मराठा द्वारा प्रस्तुत किया गया। मनीष पारीक ने अपने उद्बोधन में कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति राष्ट्र को एक नई दिशा देगी और इसका प्रचार प्रसार अधिक से अधिक लाभार्थियों तक पहुंचाने का हमारा सब का उद्देश्य है और यह कार्य महाविद्यालय द्वारा सतत किया जा रहा है। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ शैलेंद्र पाराशर ने अपने उद्बोधन में सभी को संबोधित करते हुए कहा कि प्राचीन भारत में शिक्षा का का लक्ष्य सांसारिक जीवन तथा आत्मज्ञान प्राप्त कर शिक्षित होना था। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का मुख्य लक्ष्य भारतीय दृष्टिकोण के अनुसार भारतीय मूल्य को विकसित कर एक उत्कृष्ट शिक्षा प्रणाली तैयार करना है। जिससे विद्यार्थियों के व्यवहार एवं कार्यों में ज्ञान कौशल व्यक्तित्व विकास मानवीय मूल्य तथा प्राचीन भारतीय सभ्यता के ज्ञान के साथ-साथ स्वयं को वैश्विक परिदृश्य के अनुसार आत्मनिर्भर बनाना ही लक्ष्य है। श्री पाराशर ने बताया कि यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति विद्यार्थियों के समग्र एवं सर्वांगिक व्यक्तित्व विकास एवं एकात्मक दृष्टि बोध विकसित करने में मददगार होगी। इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पूर्व माध्यमिक शिक्षा से लेकर उच्चतर माध्यमिक शिक्षा तक की संरचना में परिवर्तन एवं समग्रता का दृष्टि को समाहित है साथ ही विद्यार्थियों मैं रचनात्मकता सृजनात्मकता एवं स्वयं का व्यवसाय विकसित करने जैसी दृष्टिबोध भी इस नीति में समाहित है। वर्तमान शिक्षा नीति का समग्र उद्देश्य श्रेष्ठ नागरिक निर्माण करना तथा भारतीय मूल्यों को समाहित कर समग्र विकास करना है। कार्यक्रम के अंत में अध्यक्षीय उद्बोधन महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ रतन सिंह अनारे द्वारा किया गया।
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