April 26, 2024

इंदौर। नवरात्रि महोत्सव के तहत शहर में हर ओर गरबों की धूम है। इसका एक खास कारण यह कि कोरोना काल के दो साल बाद इस बार गरबों का आयोजन हो रहा है और किसी प्रकार की बंदिशें नहीं हैं। दूसरा यह कि हाल ही में बारिश के जो तेवर थे, वे अब नहीं है और आसमान पूरी तरह साफ है। ऐसे में हर छोटे-बड़े आयोजनों में गरबा नृत्य का जुनून सिर चिढ़कर बोल रहा है। हर तरफ पंखिड़ा रे पंखिड़ा के बोल सुनाई दे रहे हैं।

 

नवरात्रि महोत्सव के तहत शहर में हर ओर गरबों की धूम है। इसका एक खास कारण यह कि कोरोना काल के दो साल बाद इस बार गरबों का आयोजन हो रहा है और किसी प्रकार की बंदिशें नहीं हैं। दूसरा यह कि हाल ही में बारिश के जो तेवर थे, वे अब नहीं है और आसमान पूरी तरह साफ है। ऐसे में हर छोटे-बड़े आयोजनों में गरबा नृत्य का जुनून सिर चिढ़कर बोल रहा है।
गरबा नृत्य के दौरान मैदान में अलग-अलग शैलियों के दौरान रोशनी में जो रंगारंग गोलाकार दृश्य उभरता है । वह बहुत ही खूबसूरत नजर आता है।

 

 

गुजराती आदिवासी गरबे ने छटा बिखेरी

श्री वैष्णव धाम गरबा महोत्सव में गरबा प्रशिक्षक और मार्गदर्शन श्रीमती रेखा जनक गांधी के नेतृत्व में बिचौली स्थित श्री वैष्णव धाम मंदिर प्रांगण में हो रहे पारम्परिक गरबे के साथ ही गुजराती आदिवासी गरबो ने पारिवारिक वातावरण के साथ विशाल छटा बिखेर रखी है। आयोजक रचना विकास गुप्ता ने बताया है कि यहां प्रतिदिन अलग अलग परिधानों में मातृशक्तियो द्वारा भव्य गरबे किये जा रहे है जिसमे प्रमुख रूप से मालवा के प्रसिद्ध आदिवासी गरबे के साथ ही राजस्थानी, गुजराती व 2 एंव 3 तीन ताली प्रमुख है।