खुसूर-फुसूर शंकास्पद व्यस्तता

खुसूर-फुसूर

शंकास्पद व्यस्तता

सरकारी हो या अर्द्घ सरकारी महकमें सभी नियम कायदों से चलते हैं। इनमें काम करने वालों के लिए भी नियम और कायदों का पालन करना अनिवार्य होता है। वर्तमान स्थितियों में जिले में मानों ग्रीष्म कालीन अवकाश के आलम छा गए हैं और नियम कायदों को भी लू लग गई है। कार्यालयों में काम से जाने वाले अधिकांश आमजन अधिकारी कर्मचारियों के नहीं मिलने की शिकायत करता देखा जा रहा है। सरकारी हों या अर्द्ध सरकारी अधिकांश में अधिकारियों का मिलना मुश्किल ही हो गया है। छोटी मोटी समस्या के लिए कार्यालयों में पहुंचने वालों को कई दिनों तक यही सूनना पड रहा है कि अफसर मिटिंग में गए हुए हैं,छुट्टी पर हैं। दिन के अधिकांश भाग में अफसर मिटिंग में और कर्मचारी अभी कहीं गए हैं की दुरी पर ही होते हैं। कार्यालयों में आगंतुकों को यही जवाब मिल रहा है।जन्म से लेकर मृत्यु वाली संस्था में तो मानों राम राज ही चल रहा है। मिटिंग इतनी की जिनका कोई लेना देना नहीं वे अधिकारी भी मिटिंग में बताए जाते हैं। हाल ही में मेला अधिकारी आए और उन्होंने एक बैठक ली थी। इसमें सब प्रथम पंक्ति के ही अधिकारी शामिल थे। संस्था की एक तीसरी पंक्ति की अधिकारी के यहां आगंतुकों को मिटिंग के नाम से ही चलाया गया। पिछले 10 दिनों से उनके यहां चक्कर काट रहे आगंतुक का कहना था कि उनके बाबूजी ने तकरीबन हर रोज आज छुट्टी पर हैं कल आ जाना कह कर 10 दिन से बुलाया और अधिकारी पूरे 13 दिन बाद नजर आई। ये तो एक उदाहरण है यही हाल अधिकांश कार्यालयों में कायम हैं। नियंत्रण के हाल ढूंढने से भी नहीं मिल रहे हैं। आमजन अगर अधिक जानकारी मांगता है तो उसे कहा जाता है आप कौन हैं हम हमारे अधिकारी को बता देंगे की कौनसी मिटिंग में थे और कहां थे। मोबाईल फोन पर संपर्क करने पर भी आमजन को कोई जवाब नहीं मिल रहा है जबकि प्रदेश के मुखिया इसे लेकर अफसरों को साफ बोल चुके हैं। खास तो यह है कि प्रथम पंक्ति से लेकर कार्यालयों में अधिकांश अधिकारी मोबाईल का खर्च सरकार से ले रहे हैं। खुसूर-फुसूर है कि नियमानुसार अगर कार्यालय का अधिकारी अवकाश पर जाता है तो उसका प्रभार किसी अन्य को दिया जाता है। कार्य दिवस के दौरान मिटिंग में रहे तो अपने कार्यालय के सूचना पट्ट पर इसकी जानकारी अंकित करवाना चाहिए की वो किस मिटिंग में कहां गया है कितने बजे से मिटिंग है। न तो अधिकारियों के मिलने का कोई तय समय है और न ही कार्यालय में आने जाने का ही कोई तय समय ही सामने आ रहा है। जन्म मृत्यु तक साथ निभाने वाली संस्था में तो रामराज आ चुका है।

Author: Dainik Awantika