आबकारी अधिकारी की बेनामी संपत्ति का मामला:अफसर की पत्नी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज

इंदौर

आय से अधिक संपत्ति के मामले में जिला आबकारी अफसर की पत्नी की अग्रिम जमानत का आवेदन विशेष न्यायालय ने खारिज कर दिया है। इस मामले में कोर्ट में शनिवार को सुनवाई हुई थी।

तीन साल पहले धार में जिला आबकारी अधिकारी के पद पर रहते हुए पराक्रमसिंह चंद्रावत के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस को शिकायत मिली थी। इसके बाद लोकायुक्त ने उनके यहां छापा मारा। जांच एजेंसी ने वर्ष 2018 में चंद्रावत के घर व अन्य स्थानों पर छापा मारा, तो सवा तीन करोड़ रुपए की संपत्ति पाई गई थी, जिसका कोई हिसाब भी नहीं मिला।

मामले में लोकायुक्त पुलिस ने चंद्रावत व उसकी पत्नी विभावरी कुमारी को भी आरोपी बनाया। इस मामले में विभावरी ने विशेष न्यायालय में अग्रिम जमानत का आवेदन दिया था। तर्क दिया था कि उसकी आय को गलत तरीके से आंका गया है, जबकि उसके नाम पर स्वंय का पेट्रोल पंप है, किंतु इसे जांच एजेंसी ने पति की संपत्ति मान लिया है। उसने स्वंय को आयकर दाता भी होना भी बताया था। विशेष न्यायाधीश यतींद्र कुमार गुरु के समक्ष लोकायुक्त पुलिस ने अग्रिम जमानत नहीं देने की गुहार लगाई थी। इसके बाद कोर्ट ने आवेदन निरस्त कर दिया।

पिता की हत्या के बाद 2001 में मिली थी अनुकंपा नियुक्ति

पराक्रम के पिता नरेंद्रसिंह चंद्रावत 1996 में महू में थाना प्रभारी थे। एक गुंडे द्वारा किए गए हमले में उनकी मौत हो गई थी। सरकार ने पराक्रम को आबकारी अधिकारी पद पर 2001 में अनुकंपा नियुक्ति दी थी। लोकायुक्त डीएसपी यादव के मुताबिक ट्रेनिंग के बाद 2003 में पदस्थापना हुई थी। चंद्रावत विदेश यात्राओं के लिए भी चर्चा में रहे थे, जब वह स्विट्जरलैंड, दुबई, यूके समेत चार विदेश यात्राओं पर गए थे। उस समय आबकारी अधिकारी की वर्तमान में 75 हजार रुपए सैलरी थी। नौकरी में अब तक की उनकी तनख्वाह करीब 70 लाख रु. बनती है।