अब कचरे से बिजली बनाएगा इंदौर

नगर निगम 11 मेगावाट क्षमता के बिजली संयंत्र का प्रोजेक्ट केंद्र सरकार को भेजेगा, इसकी प्रस्तावित लागत 60-80 करोड़ रुपये

इंदौर। देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में स्वच्छता को लेकर लगातार कुछ न कुछ चलता रहता हैं। नगर निगम द्वारा अभी कचरे से खाद व बायो सीएनजी बनाई जा रही है। अब कचरे से बिजली बनाने का संयंत्र स्थापित करने की कवायद शुरू हो रही है। वर्तमान में सूखे कचरे का संग्रहण करने वाली एजेंसी इस्तेमाल नहीं होने वाला 200 टन सूखा कचरा रोजाना सीमेंट फैक्टरियों को ईंधन के रूप में देती है। इसी कचरे का उपयोग कर बिजली बनाई जा सकती है।
केंद्र सरकार द्वारा भी वेस्ट टू एनर्जी प्रोजेक्ट के लिए राशि दी जा रही है। इसे देखते हुए निगम भी इस मौके को भुनाना चाहता है। इंदौर में 11 मेगावाट क्षमता का विद्युत उत्पादन केंद्र तैयार करने का प्रस्ताव भेजेगा। इसकी प्रस्तावित लागत 60-80 करोड़ रुपये है। गौरतलब है कि इंदौर में अभी ट्रेंचिंग ग्राउंड स्थित प्लांट में प्रतिदिन 500 टन गीले कचरे से 1200 किलो बायो सीएनजी बनाई जा रही है, जबकि तीन संयंत्रों में रोजाना कचरे से 100 टन खाद तैयार की जा रही है।
सीवरेज से भी बिजली बनाने की योजना बनी, लेकिन कागजों पर रही सीमित। वर्ष 2020 में संभागायुक्त डा. पवन शर्मा ने चेन्नई की तर्ज पर सीवरेज से बिजली बनाने की योजना बनाई थी, लेकिन यह भी कागजों पर सीमित रह गई। उस समय कबीटखेड़ी के ट्रीटमेंट प्लांट से एक दिन में 19 हजार किलोवाट बिजली तैयार करने की संभावना जताई थी।

15 से 16 एकड़ जमीन पर बनाया जाएगा संयंत्र

नगर निगम ट्रेंचिंग ग्राउंड पर 15 से 16 एकड़ जमीन पर बिजली बनाने के इस संयंत्र को तैयार करेगा। इसके लिए यहां पर भस्मक तैयार किया जाएगा। यह केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल की तय गाइडलाइन के अनुसार बनाया जाएगा, ताकि इससे प्रदूषण न हो। निगम निजी एजेंसी के माध्यम से प्लांट को तैयार करेगा। इसमें ईंधन के रूप में रिसाइकल न होने पाने वाले सूखे कचरे का उपयोग होगा।