आज की तारीख में एक चौथाई से ज्यादा आंगनबाड़ी केंद्र भवन विहीन

आंगनबाड़ी केंद्रों को खुद के भवनों में संचालित करने के साथ ही प्ले स्कूल में बदलने की योजना बनाई थी

उज्जैन। उज्जैन जिले सहित पूरे प्रदेश भर में आज की तारीख में एक चौथाई से ज्यादा आंगनबाड़ी केन्द्र भवन विहीन है अर्थात इनका संचालन तो हो रहा है लेकिन किराये के भवनों में । यहां यह भी उल्लेखनीय है कि केन्द्रों को खुद के भवनों में संचालित करने के सथ ही इन्हें प्ले स्कूलों में बदलने की योजना थी लेकिन  ये योजना फिलहाल ठंडे बस्ते में ही है।
उज्जैन जिले सहित पूरे प्रदेश भर में  नौनिहाल अब भी किराये के आंगन में खेलने व पढऩे को मजबूर हैं। दरअसल प्रदेश के 55 जिलों में 26 हजार 583 आंगनबाड़ी केंद्र किराए के घरों में संचालित किए जा रहे हैं। इनमें व्यवस्थाएं भले आधी-अधूरी हों, लेकिन महिला एवं बाल विकास विभाग को तीन से चार हजार रुपये किराया प्रतिमाह चुकाना पड़ता है। इसकी वजह यह है कि विभाग के पास केंद्र संचालित करने के लिए खुद के भवन नहीं हैं। उज्जैन जिले सहित पूरे प्रदेश भर में  55 जिलों में कुल 97,791 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित किए जा रहे हैं। इनमें 26,583 आंगनबाड़ी केंद्र भवन विहीन हैं। वहीं 37,500 केंद्र बिजली विहीन हैं। यानी प्रदेश में आज की तारीख में एक चौथाई से ज्यादा आंगनबाड़ी केंद्र भवन विहीन हैं।

 ग्रामीण क्षेत्र में अधिकतर किराये के भवनों की स्थिति ठीक नहीं

महिला-बाल विकास के अधिकारियों का कहना है कि विभाग ने आंगनबाड़ी केंद्रों के बारे में जानकारी एकत्रित की, तो सामने आया कि किराये के कई भवनों का आकार छोटा होने से बच्चे इनमें ठीक से बैठ नहीं पाते। ग्रामीण क्षेत्र में अधिकतर किराये के भवनों की स्थिति ठीक नहीं है। इसे देखते हुए विभाग ने नए आंगनबाड़ी भवनों के निर्माण की योजना की तैयार की है। विभाग के कई आंगनबाड़ी केंद्रों के भवनों की स्थिति ठीक नहीं है, उनके रेनोवेशन की जरूरत है। महिला-बाल विकास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि लागत ज्यादा होने के कारण एक साथ सभी आंगनबाड़ी केंद्रों का निर्माण करना संभव नहीं है, इसलिए आंगनबाड़ी भवनों का निर्माण चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा।

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