इंदौर की तरह उज्जैन में भी जनसुनवाई के दौरान निशुल्क आवेदन लिखने की सुविधा शुरू हो, उठी मांग  जो पढ़े लिखे नहीं है और आवेदन लिखना नहीं जानते हैं उन लोगों को मिलेगी राहत, दलालों से भी मिलेगा छुटकारा 

उज्जैन। इंदौर कलेक्टर शिवम वर्मा ने जनसुनवाई में आने वाले लोगों के लिए एक अच्छी सुविधा शुरू की है। जिससे जनसुनवाई में आने वाले लोगों को काफी राहत मिली है साथ ही लोगों के पैसे भी खर्च नहीं हो रहे हैं। इंदौर की तरह उज्जैन में भी यह सुविधा शुरू करने की लोगों द्वारा मांग की जा रही है। इंदौर कलेक्टर ने ऐसे लोग जो पढ़े-लिखे नहीं हैं और जिन्हें आवेदन लिखना नहीं आता है। उन्हें परेशान ना होना पड़े। इसके लिए इंदौर कलेक्टर शिवम वर्मा ने कलेक्टर कार्यालय में जनसुनवाई के हाल के बाहर अपने अधीनस्थ कर्मचारियों की जनसुनवाई में आवेदन लिखने में ड्यूटी लगाई है। ऐसे लोग दस्तावेज व परेशानी बताकर इन कर्मचारियों से आवेदन लिखवा सकते है। इंदौर कलेक्टर द्वारा लागू की गई यह सुविधा पूरी तरह से निशुल्क है। कई बार जनसुनवाई में पहुंचने वाले लोगों से आवेदन बनाने के नाम पर दलालों द्वारा 500 से 1000 रुपए भी वसूल लेते हैं । लेकिन इंदौर में कलेक्टर द्वारा जो यह नई व्यवस्था शुरू की गई है उससे जनसुनवाई में पहुंचने वाले लोगों को काफी राहत मिली है। वहीं उनकी जेब के पैसे भी खर्च नहीं हो रहे। क्योंकि कलेक्टर द्वारा आवेदन लिखने की सुविधा शुरू की है। वह पूरी तरह से निशुल्क है। कलेक्टर द्वारा अपने ही विभाग के अधीनस्थ कर्मचारियों को आवेदन लिखने के लिए जनसुनवाई के हाल के बाहर ड्यूटी पर लगाया गया है। ऐसे में अगर कोई व्यक्ति लिखना नहीं जानता है और उसे जनसुनवाई में अपना शिकायती आवेदन देना है। तो अब उसे परेशान होने की जरूरत नहीं पड़ेगी। और ना नहीं उसे पैसे खर्च करना पड़ेंगे। वह दस्तावेज प्रस्तुत कर अपनी समस्या बताकर कर्मचारियों से आवेदन लिखवाकर जनसुनवाई में दे सकता है ।
आवेदन के नाम पर दलालों द्वारा की जा रही वसूली भी होगी बंद
 इंदौर की तरह यह सुविधा उज्जैन में भी कलेक्टर रोशन कुमार सिंह से लागू करने की मांग की गई है ताकि जो लोग पढ़े-लिखे नहीं है और आवेदन लिखना नहीं जानते हैं तथा गरीब है। उन्हें‌ राहत मिल सके। साथ ही आवेदन लिखने के नाम पर जनसुनवाई में आने वाले लोगों से दलालों द्वारा जो पैसे वसूले जाते हैं उससे भी उन्हें छुटकारा मिल सके। विवेकानंद निवासी आशुतोष शुक्ला ने बताया कि जनसुनवाई में पहुंचने वाले अधिकतर लोग पहले ही परेशान होते हैं तथा कई लोग ऐसे होते हैं जो पढ़े-लिखे नहीं होते हैं तथा उनके पास आवेदन बनवाने के पैसे भी नहीं होते हैं इस कारण इंदौर में जिस तरह की सुविधा शुरू की गई है वह उज्जैन में भी लागू होना चाहिए। जिससे ऐसे लोगों को राहत मिल सके।
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