60 हजार पुलिसकर्मियों की आवश्यकता होगी
पुलिस बल की कमी से कानून-व्यवस्था बिगड़ रही
उज्जैन। उज्जैन सहित पूरे प्रदेश में पुलिस बल की कमी के चलते बड़ी चुनौती वर्ष 2028 में उज्जैन में होने वाले सिंहस्थ में सुरक्षा को लेकर रहेगी। इसमें 60 हजार पुलिसकर्मियों की आवश्यकता होगी। प्रदेश में पुलिस बल की कमी से कानून-व्यवस्था बिगड़ रही है, आरोपियों की धरपकड़ और जांच में समय लग रहा है। पुलिसकर्मियों के कुल एक लाख 25 हजार पदों में से 25 हजार खाली हैं।
न थाने बढ़े न पुलिस बल
उज्जैन सहित पूरे प्रदेश में पुलिस आरक्षक से लेकर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक तक के एक लाख 25 हजार 489 पद हैं। इनमें अभी एक लाख 600 ही पदस्थ हैं। जब कोई थाना स्वीकृत होता है, तभी उसके लिए बल स्वीकृत किया जाता है। जरूरत के अनुसार थाने नहीं बढऩे के कारण पुलिस बल भी नहीं बढ़ा। सरकार का ही मापदंड मान लें, तो पचास हजार की आबादी पर जिला पुलिस बल का एक थाना होना चाहिए, इस हिसाब से प्रदेश की अनुमानित आठ करोड़ 90 लाख की जनसंख्या के हिसाब से 1700 से अधिक थाने होने चाहिए, पर अभी 968 ही हैं। सूबे में आठ पुलिस प्रशिक्षण केंद्रों में 7850 पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण की सुविधा है। उन्हें नौ माह का प्रशिक्षण दिया जाता है। इससे अधिक पदों पर भर्ती होने पर प्रशिक्षण के लिए प्रतीक्षा करनी होगी। पुलिस आरक्षक के पदों पर ऑनलाइन परीक्षाओं के लिए परीक्षा केंद्रों की कमी रहती है। इस कारण कर्मचारी चयन मंडल को परीक्षा कराने में दो से तीन माह लग जाते हैं। इसके बाद शारीरिक दक्षता परीक्षा में दो से तीन माह लग जाते हैं। छह से सात हजार पद भरने में ही लगभग डेढ़ वर्ष लग जा रहे हैं। तीसरा, बजट के अभाव के कारण भी सरकार एक साथ बड़ी भर्ती करने से बच रही है।
