36 घंटे में खुली मालवा मिल ब्रिज की कलई: हल्की बारिश में डूबा हिस्सा, अधूरे कामों पर उठे सवाल

36 घंटे में खुली मालवा मिल ब्रिज की कलई: हल्की बारिश में डूबा हिस्सा, अधूरे कामों पर उठे सवाल

इंदौर। विजयदशमी पर लोकार्पित हुए 6 करोड़ की लागत वाले मालवा मिल ब्रिज की हकीकत सिर्फ 36 घंटे बाद ही सामने आ गई। शुक्रवार देर रात हुई मामूली बारिश में ही ब्रिज का एक हिस्सा पानी में डूब गया। जिस पर नगर निगम और नेताओं ने दावा किया था कि अब कभी पानी नहीं भरेगा, वहीं पर वाहन चालकों को फिर परेशान होना पड़ा।


उद्घाटन और दावे

  • दशहरे के दिन नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने पुल का लोकार्पण किया।

  • इस मौके पर महापौर पुष्यमित्र भार्गव, विधायक रमेश मेंदोला, महेंद्र हार्डिया और राजेंद्र राठौर मौजूद थे।

  • दावा किया गया था कि ब्रिज पूरी तरह समस्या मुक्त है और एबी रोडअटल द्वार रोड का ट्रैफिक दबाव कम होगा।


बारिश के बाद की हकीकत

  • हल्की बारिश में ही ब्रिज का एक हिस्सा पानी से भर गया।

  • पानी निकासी के लिए बनाई गई नई ड्रेनेज लाइन पहली ही बारिश में फेल हो गई।

  • ब्रिज की स्लैब जगह-जगह ऊंची-नीची है, जिससे वाहन उछलते हैं और हादसे का खतरा बना हुआ है।


अधूरे काम और निर्माण की खामियाँ

  • ब्रिज पर अब भी रेत, गिट्टी और कंस्ट्रक्शन मटेरियल पड़ा है।

  • सड़क से ब्रिज का लेवल करीब 3 इंच नीचे है, जिससे वाहन चालकों को झटका लग रहा है।

  • ब्रिज को जोड़ने वाली सड़कों पर स्लोप तैयार नहीं किया गया।

  • डामर की परत चढ़ाकर लेवल मिलाना बाकी है।


सोशल मीडिया पर आलोचना

  • उद्घाटन के दिन से ही धूल और ऊबड़-खाबड़ सतह पर लोगों ने नाराजगी जताई।

  • सोशल मीडिया पर ब्रिज की अधूरी हालत और जल्दबाजी में किए गए लोकार्पण की तस्वीरें वायरल हो रही हैं।

  • नागरिकों ने पूछा — इतनी जल्दीबाजी क्यों?


व्यापार और नागरिकों की परेशानी

  • मालवा मिल ब्रिज पाटनीपुरा क्षेत्र से जुड़ा है, जो व्यापारिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

  • त्योहारी सीजन में यहां भीड़ बढ़ रही है, ऐसे में अधूरी सड़क और जलभराव लोगों की दिक्कतें और बढ़ा रहा है।

  • व्यापारी और स्थानीय निवासी निगम पर जल्दबाजी और लापरवाही के आरोप लगा रहे हैं।


पहले भी हुई थी मौत

  • दो माह पहले निर्माणाधीन ब्रिज पर बैरिकेडिंग और रोशनी नहीं होने से राधेश्याम कुशवाह (34) बाइक से गिरकर मौत का शिकार हो गए थे।

  • परिवार आज भी मुआवजे और कागज़ी कार्रवाई के लिए भटक रहा है।

  • लोकार्पण के दिन उनके परिजन मुख्यमंत्री से मिलने की कोशिश में थे, लेकिन उद्घाटन के चलते बात नहीं हो पाई।


निष्कर्ष
सिर्फ 36 घंटे में ही मालवा मिल ब्रिज की खामियाँ उजागर हो जाना इस बात का सबूत है कि जल्दबाजी में किए गए उद्घाटन और अधूरे काम जनता की जान जोखिम में डाल सकते हैं। अब सवाल है कि क्या नगर निगम और जिम्मेदार नेता इसकी जवाबदेही लेंगे या फिर जनता को ही भुगतना पड़ेगा?


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