उज्जैन में साइबर ठगी का अनोखा मामला: “डिजिटल अरेस्ट” में फंसी महिला से 5 लाख की वसूली
उज्जैन। शहर में साइबर ठगी का ऐसा मामला सामने आया है, जिसने सभी को चौंका दिया। ठगों ने 50 वर्षीय महिला को 40 घंटे तक “डिजिटल अरेस्ट” में रखकर उससे गहने गिरवी रखवा कर 5 लाख रुपये ऐंठ लिए। पुलिस ने मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके पास से 2.89 लाख रुपये बरामद किए हैं।
कैसे हुआ डिजिटल अरेस्ट?
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12 अगस्त को महिला सरोज माली को एक कॉल आया।
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कॉल करने वाली युवती ने खुद को बिरला ग्राम थाने की पुलिसकर्मी बताया।
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उसने कहा कि “आपके घर में कछुए और मछली पालने पर FIR दर्ज हुई है।”
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कॉलर ने महिला को चेतावनी दी कि वह किसी से बात न करे, वरना तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
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महिला 12 से 14 अगस्त तक लगातार इस धोखे में रही और किसी से संपर्क नहीं कर पाई।
ठगों की चालबाज़ी
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सरोज को एक और युवक का कॉल आया, जिसने कहा कि वह भी “मछली और कछुए पालने” के आरोप में गिरफ्तार हुआ था।
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डर के कारण सरोज ने अपने गहने गिरवी रखकर 5 लाख रुपये की व्यवस्था की।
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14 अगस्त को ठग खुद उसके घर पहुंचे और नकदी ले गए।
पुलिस की कार्रवाई
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15 अगस्त को महिला ने साहस जुटाकर बिरला ग्राम थाने में शिकायत दर्ज कराई।
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जांच में सामने आया कि ठगों में एक आरोपी ने खुद को क्राइम ब्रांच इंस्पेक्टर बताकर महिला को धमकाया था।
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सीसीटीवी और कॉल डिटेल के आधार पर पुलिस ने राजेश उर्फ राज (ग्राम गुणावद), युक्ति बैरागी (रतलाम), और एक अन्य साथी को गिरफ्तार किया।
आरोपी युवती की कहानी
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मुख्य आरोपी युवती युक्ति बैरागी रतलाम की रहने वाली है।
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पहले इंदौर की एक फाइनेंस कंपनी में नौकरी करती थी।
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नौकरी छूटने के बाद उसने जल्दी पैसे कमाने के लिए ठगी का रास्ता चुना।
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उसी ने महिला को कॉल कर “कछुआ और मछली पालने” की कहानी गढ़ी।
महिला की मजबूरी
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सरोज माली उज्जैन में अकेली रहती हैं।
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उनके पति सेना से रिटायर फौजी थे, जिनका निधन हो चुका है।
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बेटे नौकरी के सिलसिले में बाहर रहते हैं।
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अकेलेपन और बीमारी के कारण वह ठगों की मानसिक दबाव की चाल में फंस गईं।
पुलिस की जांच
एसपी प्रदीप शर्मा ने कहा:
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“संभव है कि महिला के घर में कछुए और मछली होने की जानकारी किसी परिचित ने ठगों को दी हो।”
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“फिलहाल यह पता लगाया जा रहा है कि यह सिर्फ इत्तेफाक था या किसी ने आरोपियों को यह सूचना जानबूझकर दी थी।”
👉 यह मामला बताता है कि साइबर ठग अब नए-नए तरीके अपनाकर लोगों को डराते हैं। “डिजिटल अरेस्ट” जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर वे मानसिक दबाव डालते हैं।
