उज्जैन में किसानों का जल सत्याग्रह और चक्काजाम: सिंहस्थ 2028 के लिए जमीन अधिग्रहण का विरोध तेज

उज्जैन में किसानों का जल सत्याग्रह और चक्काजाम: सिंहस्थ 2028 के लिए जमीन अधिग्रहण का विरोध तेज

उज्जैन। 2028 सिंहस्थ महापर्व की तैयारियों के लिए प्रस्तावित स्थायी कुंभ नगरी को लेकर उज्जैन में किसानों का विरोध तेज हो गया है। रविवार को बड़ी संख्या में किसान शिप्रा नदी के चक्रतीर्थ श्मशान घाट पर पानी में खड़े होकर प्रदर्शन किया और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। वहीं, आगर रोड पर चक्काजाम भी किया गया, जिससे यातायात प्रभावित हो गया।

किसानों की मांग – स्थायी जमीन अधिग्रहण न हो

प्रदर्शन कर रहे किसानों का कहना है कि वे सिंहस्थ के लिए जमीन देने को तैयार हैं, लेकिन स्थायी अधिग्रहण नहीं चाहते। अधिकांश किसानों के पास सीमित भूमि है और उसका अधिग्रहण होने पर उनकी आजीविका पूरी तरह प्रभावित होगी। किसानों का कहना है कि सरकार नई योजना के तहत उनकी आधी से ज्यादा जमीन ले रही है, जिससे उनका भविष्य संकट में पड़ जाएगा।

प्रशासन के प्रयास और किसानों का आक्रोश

प्रदर्शन से पहले किसानों ने रामघाट पर जल सत्याग्रह की योजना बनाई थी, लेकिन पुलिस ने सभी घाटों पर बैरिकेड्स लगाकर उन्हें रोक दिया। इसके बाद किसान दो धड़ों में बंट गए। एक समूह शिप्रा नदी के चक्रतीर्थ श्मशान घाट पर पहुंचकर पानी में खड़ा हो गया, जबकि दूसरा धड़ा अनाज मंडी के सामने पहुंचकर चक्काजाम करने लगा।

प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने उनके बुजुर्ग किसान नेताओं को आधी रात को हिरासत में लिया, जो पूरी तरह अनुचित है। काफी समझाइश के बाद किसानों ने चक्काजाम समाप्त किया।

सिंहस्थ 2028 और जमीन अधिग्रहण

बता दें कि सिंहस्थ 2028 को लेकर उज्जैन में 2,378 हेक्टेयर जमीन पर स्थायी कुंभ नगरी बसाने की योजना है। सरकार इसके लिए जमीन अधिग्रहण कर रही है, जिसका किसान विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि स्थायी निर्माण से उज्जैन की आध्यात्मिक पहचान प्रभावित होगी और साधु-संतों के लिए भी जगह नहीं बचेगी।

किसानों की प्रमुख आपत्तियाँ

  • उज्जैन डेवलपमेंट अथॉरिटी (UDA) को ही सिंहस्थ की तैयारी का जिम्मा क्यों दिया गया?

  • सिंहस्थ क्षेत्र में किसानों को घर, पशु बाड़े और गोदाम बनाने की अनुमति नहीं दी जाती, तो स्थायी निर्माण क्यों?

  • छोटे किसानों की आधी से अधिक जमीन अधिग्रहण में चली जाएगी, तो उनके पास आजीविका का क्या साधन बचेगा?

  • इतने बड़े पैमाने पर स्थायी निर्माण से साधु-संतों के ठहरने की जगह कम हो जाएगी।

  • उज्जैन को आध्यात्मिक नगरी से कंक्रीट नगरी में बदलने की कोशिश क्यों हो रही है?

  • किसानों को वास्तविक योजना की पूरी जानकारी क्यों नहीं दी जा रही?

नतीजा

प्रशासन की समझाइश के बाद किसान प्रदर्शन खत्म कर लौट गए, लेकिन उन्होंने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों पर विचार नहीं किया गया तो आंदोलन और तेज किया जाएगा। सिंहस्थ 2028 की तैयारियों और किसानों के विरोध के बीच यह विवाद अब और गहराता नजर आ रहा है।

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