श्रावण पूर्णिमा पर शिप्रा तट पर श्रावणी उपाकर्म सम्पन्न
श्रावण पूर्णिमा के पावन अवसर पर मोक्षदायिनी शिप्रा नदी तट पर ब्राह्मण समाज के बटुक और जनेऊधारी ब्राह्मणों ने श्रावणी उपाकर्म संपन्न किया। वैदिक मंत्रोच्चार और पवित्र स्नान के बीच जनेऊ बदली गई।
मुख्य अनुष्ठान
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शिप्रा नदी में स्नान के बाद नया यज्ञोपवित (जनेऊ) धारण।
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पितरों का तर्पण कर उनसे आशीर्वाद की कामना।
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जाने-अनजाने में हुए दोषों से मुक्ति की प्रार्थना।
धार्मिक महत्व
आचार्य हिमांशु व्यास के अनुसार:
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रक्षा बंधन का पर्व ब्राह्मणों के लिए विशेष महत्व रखता है।
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पूर्णिमा पर पुराने बंधन समाप्त कर नए कार्यों की शुरुआत होती है।
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यज्ञोपवित बदलने से पहले हेमाद्री कर्म, शुद्धि स्नान और प्रायश्चित संकल्प किया जाता है।
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भगवान गणेश, भगवान विष्णु, सप्तऋषि और अरुंधती का पूजन होता है।
वार्षिक परंपरा
हर वर्ष रक्षाबंधन पर ब्राह्मण समाज शिप्रा नदी तट पर बड़े स्तर पर यह अनुष्ठान करता है। इस वर्ष भी पूर्णिमा तिथि पर सैकड़ों ब्राह्मणों ने परंपरा का पालन करते हुए जनेऊ बदला और पितरों का तर्पण किया।
