इंदौर में दो सिर वाली बच्ची का निधन, पैरापैगस डायसेफेलस का दुर्लभ मामला
MTH में 22 जुलाई को जन्मी, 16 दिन तक जीवन के लिए संघर्ष
इंदौर | 8 अगस्त 2025
महाराजा तुकोजीराव हॉस्पिटल (MTH) में जन्मी दो सिर वाली बच्ची ने गुरुवार को अंतिम सांस ली। बच्ची को जन्म के बाद से ही स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट (SNCU) में रखा गया था, लेकिन 6 अगस्त को परिजन उसे डॉक्टरों की सलाह के खिलाफ घर ले गए थे। देवास जिले के हरनगांव के पलासी गांव में गुरुवार को उसकी मृत्यु हो गई।
दुर्लभ चिकित्सा स्थिति
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बच्ची का शरीर एक था, लेकिन दो सिर थे।
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दोनों के लिए अलग-अलग दिल थे, जिनमें से एक खराब और दूसरा बेहद कमजोर था।
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यह स्थिति पैरापैगस डायसेफेलस कहलाती है, जो अत्यंत दुर्लभ है।
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ऐसे मामलों में जीवित रहने की संभावना 0.1% से भी कम होती है।
जन्म और उपचार
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22 जुलाई 2025 को बच्ची का जन्म सिजेरियन डिलीवरी से हुआ।
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जन्म के बाद से वह वेंटिलेटर सपोर्ट और मां के दूध पर जीवित थी।
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डॉक्टरों ने सर्जरी की संभावना से इनकार किया क्योंकि दोनों सिर गर्दन से जुड़े हुए थे।
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सामान्यत: ऐसे शिशु पेट में ही मर जाते हैं या जन्म के 48 घंटे बाद तक जीवित नहीं रह पाते।
परिजनों का निर्णय
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डॉक्टरों ने निरंतर अस्पताल में रहने की सलाह दी थी।
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6 अगस्त को परिजनों ने Leave Against Medical Advice (LAMA) के तहत बच्ची का डिस्चार्ज ले लिया।
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16 दिनों तक जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष करने के बाद बच्ची का निधन हो गया।
विशेषज्ञों की राय
डॉ. प्रीति मालपानी (पीडियाट्रिशियन):
“एक कमजोर दिल पर दोनों सिरों के लिए रक्त पंप करने का भारी दबाव था। यह मामला चिकित्सकीय दृष्टि से अत्यंत जटिल और दुर्लभ था।”
डॉ. अनुपमा दवे (सुपरिटेंडेंट):
“यह स्थिति न तो आनुवंशिक होती है और न ही मां के स्वास्थ्य से संबंधित। विश्व में हर 50 हजार से 2 लाख जन्म में एक ऐसा मामला आता है।”
मामले का महत्व
यह बच्ची 16 दिनों तक जीवित रही, जो कि चिकित्सा विज्ञान के लिए एक केस स्टडी बन गया। डॉक्टरों का मानना है कि ऐसे मामलों में लंबी उम्र की संभावना लगभग नगण्य होती है।
