हरदा में 1.52 कैरेट के हीरे ने मचाया बवाल: 18 लाख की ठगी से शुरू हुआ मामला, करणी सेना और पुलिस आमने-सामने

हरदा में 1.52 कैरेट के हीरे ने मचाया बवाल: 18 लाख की ठगी से शुरू हुआ मामला, करणी सेना और पुलिस आमने-सामने

📍 भोपाल/हरदा – 17 जुलाई 2025
रिपोर्टर: प्रवीण मालवीय

हरदा में बीते सप्ताह हुए करणी सेना और पुलिस के बीच टकराव की जड़ में छिपी है एक चमकदार लेकिन विवादित कहानी — 1.52 कैरेट के हीरे की, जिसकी कीमत बताई गई 18 लाख रुपये। इस हीरे को लेकर एक व्यापारी से ठगी हुई, जिसके बाद मामला धीरे-धीरे राजनीतिक रंग लेने लगा और तीन दिनों तक प्रदेशभर में प्रदर्शन हुए।


🧿 पंडित की सलाह से शुरू हुई कहानी

हरदा जिले के केलनपुर गांव निवासी आशीष राजपूत, जो करणी सेना से भी जुड़े हैं, ने अपना कारोबार बढ़ाने के लिए वर्षों पहले कंप्यूटर दुकान शुरू की थी। परंतु कोविड काल के दौरान भारी नुकसान हुआ। जीवन में लगातार असफलता के चलते उन्होंने एक ज्योतिष से कुंडली दिखवाई, जिसने ग्रह दशा सुधरने के लिए हीरा धारण करने की सलाह दी।


💰 18 लाख में खरीदा हीरा, जो कभी मिला ही नहीं

एफआईआर के अनुसार, 24 जनवरी 2024 को आशीष अपने दोस्त सुनील राजपूत के साथ रुद्राक्ष होटल में मिले। वहाँ विक्की उर्फ विकास लोधी और उसका साथी मोहित वर्मा मौजूद थे, जिन्होंने हीरे के व्यापार की बात छेड़ी।
मोहित ने बताया कि उसके पास एक 1.52 कैरेट का हीरा है, जिसकी कीमत 18 लाख रुपये है।
आशीष ने बिना पूरी जांच-पड़ताल किए डील पक्की कर दी

बाद में यह स्पष्ट हुआ कि यह हीरा एक जालसाजी का हिस्सा था। धोखाधड़ी करके आरोपी मुंबई जाकर हीरा बेच चुके थे।


🚨 पुलिस कार्रवाई और करणी सेना का आरोप

पुलिस ने आरोपियों को गिरफ़्तार तो कर लिया, लेकिन आशीष और करणी सेना पदाधिकारियों का आरोप था कि पुलिस इस केस को कमजोर कर रही है, और आरोपियों से मिली हुई है।

इसी बात को लेकर 12 जुलाई को करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने थाने का घेराव किया, और जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया। स्थिति बिगड़ने पर पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल किया।

करणी सेना के जिलाध्यक्ष समेत 4 कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया, और बाद में संगठन के प्रदेश अध्यक्ष जीवन सिंह शेरपुर को भी गिरफ़्तार किया गया। इसके विरोध में करणी सेना ने राज्यव्यापी आंदोलन छेड़ दिया।


🔍 हीरा तो बहाना था, मामला बना जन-आक्रोश का कारण

यह घटना सिर्फ एक ठगी का मामला नहीं रही, बल्कि संगठन और प्रशासन के बीच अविश्वास, राजनीतिक दबाव, और कानून-व्यवस्था की चुनौती में बदल गई। सोशल मीडिया पर भी यह मामला तेज़ी से वायरल हुआ, जहाँ पुलिस की भूमिका पर कई सवाल उठाए गए।

Share:

संबंधित समाचार

Leave a Comment