न भय और न हिचक….चेहरे पर मुस्कान…. महाकाल मंदिर की  सुरक्षा को लेकर सख्त दिखाई देती है ये महिलाएं

पुरूष सुरक्षाकर्मियों के साथ सहयोगी बनकर खड़ी है ये महिलाएं

उज्जैन। आप यदि महाकाल मंदिर जाते है तो आपको पूरे मंदिर परिसर में महिलाएं सुरक्षाकर्मियों के रूप  में  भी दिखाई देगी। ये महिलाएं न केवल मंदिर की सुरक्षा को लेकर सख्त दिखाई देती है वहीं उन्हें न अपनी ड्यूटी में भय है और न हिचक। हालांकि चेहरे पर मुस्कान अवश्य होती है क्योंकि  श्रद्धालुओं के साथ जय महाकाल का उद्घोष जो किया जाता है….।

यूं महाकाल मंदिर में भले ही पुरूष सुरक्षाकर्मियों को सुरक्षा की कमान संभालते हुए देखा जाता हो लेकिन इनके और पुलिसकर्मियों के साथ बीते कुछ दिनों से महिलाएं भी सुरक्षा का दायित्व निर्वहन कर रही है। दरअसल ये वे महिलाएं है जिन्होंने राज्य सरकार की योजना के तहत आत्मरक्षा और कौशल विकास का प्रशिक्षण प्राप्त किया है।

बता दें कि  महिला सशक्तिकरण के लिए तीन साल की समय सीमा वाली योजना मार्च 2022 में शुरू की गई थी। इसमें अब तक ३६ हजार महिलाओं को आत्मरक्षा और नौ हजार महिलाओं को कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। शेष को इस साल के अंत तक प्रशिक्षित किया जाएगा। इन्हें स्वरोजगार से जोड क़रें आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। प्रशिक्षण प्राप्त कर महिलाएं उज्जैन महाकाल मंदिर में सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल रही हैं।  ओंकारेश्वर, खजुराहो, मैहर जैसे पर्यटन और धार्मिक स्थलों पर भी गाइड व सुरक्षाकर्मी का काम महिलाएं ही कर रही हैं। जल पर्यटन में नाव चलाने का काम भी कर रही हैं।

पर्यटकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी महिलाएं संभालेंगी

कभी दस्युओं यानी डकैतों के लिए कुख्यात रहे मध्य प्रदेश के बीहड़ वाले क्षेत्र में पर्यटकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी महिलाएं संभालेंगी। इन क्षेत्रों में पर्यटकों के लिए गाइड का काम भी महिलाएं ही करेंगी। इतना ही नहीं पुलिस के साथ मिलकर समाज में सुरक्षित वातावरण बनाए रखने का जिम्मा भी महिलाओं का होगा। इसके लिए राज्य सरकार ने 40 हजार महिलाओं को आत्मरक्षा का और 10 हजार महिलाओं को कौशल विकास का प्रशिक्षण देकर रोजगार देने का लक्ष्य रखा है।

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