दैनिक अवंतिका उज्जैन।
श्रावण मास में भगवान महाकाल की पहली सवारी आज सोमवार को नगर में धूमधाम से निकलेगी। भगवान महाकाल चांदी की पालकी में मनमहेश रूप में सवार होकर भक्तों को दर्शन देंगे।
मंदिर प्रबंध समिति ने श्राव में निकलने वाली भगवान महाकाल की प्रथम सवारी के लिए संपूर्ण तैयारी कर ली है। इस बार बाबा नई पालकी में सवार होकर निकलेंगे। इसके लिए पालकी सफाई व पालिश करने के साथ ही का इसका ट्रायल भी लिया गया। वहीं भगवान की चांदी की प्रतिमा का श्रृंगार भी कर दिया गया है। सोमवार को सवारी प्रारंभ होने के पूर्व सभामंडप में भगवान का पूजन-अर्चन होगा। इसके बाद भगवान पालकी में विराजित होकर शाम 4 बजे भक्तों को दर्शन देने परंपरागत मार्ग से नगर भ्रमण पर निकलेंगे।मन्दिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा पालकी में विराजमान भगवान को सलामी दी जाएगी। सवारी में भजन मंडली, पुलिस बैंड, घुड़सवार दल, सशस्त्र बल, होमगार्ड के जवान, मंदिर के पंडे-पुजारी व अधिकारी प्रमुख रूप से शामिल रहेंगे।
इन मार्गों से होकर निकलेगी महाकाल की सवारी
भगवान महाकाल की सवारी मन्दिर से शुरू होकर महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार व कहारवाड़ी होकर रामघाट पहुंचेगी। जहां शिप्रा नदी के जल से भगवान का अभिषेक, पूजन किया जाएगा। इसके बाद सवारी रामानुजकोट, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती का मन्दिर, सत्यनारायण मन्दिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मन्दिर, पटनी बाजार, गुदरी बाजार से होती हुई पुन: मन्दिर पहुंचकर समाप्त होगी।
पहली सवारी में 25 गुरुकुल के
500 बटुक वैदिक उद्घोष करेंगे
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंशानुरूप इस बार सवारियों के लिए अलग-अलग थीम तैयार की गई है। श्रावण की पहली सवारी में बटुकों द्वारा वैदिक उद्घोष किया जाएगा। शिप्रा तट पर पूजन के दौरान दत्त अखाड़ा व रामघाट पर करीब 25 गुरुकुल से 500 बटुकों द्वारा वैदिक मंत्रों से उद्घोष कर अर्चन किया जाएगा। वहीं सवारी के दौरान जनजाति कलाकारों का समूह नृत्य प्रस्तुत करेंगे।
आज श्रावण सोमवार को रात
2.30 बजे खुलेंगे मंदिर के पट
श्रावण मास में भगवान महाकाल भक्तों के लिए सामान्य दिनों की तुलना में जल्दी जागते हैं। श्रावण मास में प्रत्येक सोमवार की रात को 2.30 बजे से ही मंदिर के पट खोल दिए जाएंगे। इसके बाद भगवान महाकाल का पंचामृत पूजन अभिषेक होगा। भगवान को भस्म रमाने के भस्म आरती होगी। सप्ताह के शेष दिनों में रात 3 बजे मंदिर के पट खोले जाएंगे।
सवारी के दौरान आम श्रद्धालु व
दुकानदार इस बात का ध्यान रखें
– सवारी मार्ग में सड़क के दोनों ओर व्यापारी चालू भट्टी व तेल का कड़ाव न रखें।
– श्रद्धालु सवारी में उल्टी दिशा में न चलें और सवारी निकलने तक स्थान पर खड़े रहें।
– दर्शनार्थी गलियों में वाहन रखकर मार्ग अवरूद्ध न करें।
– श्रद्धालु सवारी के दौरान सिक्के, नारियल, केले, फल आदि न फेकें।
– सवारी के बीच में प्रसाद और चित्र वितरण न करें।
– पालकी के आसपास अनावश्यक संख्या में लोग खड़े होकर भीड़ न करें।
– सवारी में पारंपरिक 09 भजन मंडलियां व झांझ डमरू दल ही शामिल रहेगें।
