मप्र के चार बड़े शहरों के मुकाबले में उज्जैन में फिलहाल धूल का प्रदूषण संतोषजनक है। यह स्थिति हाल ही में मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा वर्ष 2023-2024 की रिपोर्ट में जारी किए गए आंकड़ों से साफ हुई है। हालांकि इसमें 2025 के अब तक के आंकड़े नहीं दिए गए है।
प्रदेश की बात करे तो ग्वालियर शहर मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा धूल से प्रदूषित बताया गया है। जबकि सबसे कम प्रदूषित शहर मैहर है। धार्मिक नगरी उज्जैन की बात करे तो यहां धूल से होने वाले प्रदूषण की स्थिति सामान्य है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हर वर्ष इसकी एक सालाना रिपोर्ट जारी करता है। यह रिपोर्ट पीएम-10 पर आधारित होती है। आपको बता दे कि प्रदेश में धूल से प्रदूषित होने के मामले में ग्वालियर के साथ ही भोपाल, इंदौर, जबलपुर मॉडरेट कैटेगरी में शामिल हो गए हैं। इसका मतलब यहां धूल से प्रदूषण की स्थिति अत्यधिक ज्यादा बताई गई है। लेकिन इन प्रदेश के चार महानगरों में उज्जैन की स्थिति फिलहाल संतोषजनक है। क्योंकि रिपोर्ट में स्पष्ट है कि उज्जैन का पीएम -10 एनुअल एवरेज 85.2 दर्ज किया गया है जो कि सेटिस्फेक्ट्री कैटेगरी यानी सामान्य में आता है। ग्वालियर का पीएम-10 एवरेज 133.29 बताया गया हे जबकि मैहर का 38.05 ही दर्ज किया गया है।
जाने क्या होता है पीएम-10, कैसे ये
फेफड़ों तक पहुंच नुकसान करते हैं
पीएम पार्टिकुलेट मैटर – 2.5 और पीएम -10 हवा की क्वालिटी मापने का पैमाना है। इनके जरिए हवा मौजूद धूल के कणों को मापा जाता है। हवा यदि पीएम – 2.5 की मात्रा 60 और पीएम – 10 की मात्रा 100 है तो ही इसे सांस लेने के लिए सुरक्षित माना जाता है। धूल में उड़ने वाले कण 10 माइक्रोमीटर के होते हैं जो आसानी से नहीं देखे जा सकते हैं। लेकिन ये बहुत नुकसान दायक है। ये सांसों के जरिए हमारे शरीर में प्रवेश कर फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं। और इससे सांस लेने में परेशानी होती है। अस्थमा के मरीजों के लिए तो यह और घातक हैं। पांच साल तक के छोटे बच्चों और सीनियर सिटीजन के लिए भी खतरे से खाली नहीं होते।
शहरों में बड़े निर्माण, सड़कों पर
फैला कचरा बना रहे हैं धुल कण
– पर्यावरणविद् की माने तो पीएम-10 होने का बड़ा कारण शहरों में लगातार हो रहे निर्माण है।
– दूसरा बड़ा कारण सड़कों पर फेला कचरा है।
– इनसे गाड़ी के टायरों के रगड़ने से धूल पैदा होती है।
– यहीं धूल उड़कर प्रदूषण फेलाती है और हमारे शरीर को नुकसान भी।
धूल कण के प्रदूषण से ऐसे बचा जा
सकता है बस नगर निगम ये उपाय करें
शहरों में धूल कणों से बचने के लिए नगर निगम रोजाना प्रमुख सड़कों पर लगातार स्प्रिंकलर चलाए। अगर स्प्रिंकलर का छिड़काव हर 3 घंटे के अंतराल में होता है तो पीएम-10 की वैल्यू काफी कम हो जाती है। हवा की क्वालिटी में सुधार हो जाता है। इससे आप धूल के प्रदूषण से बचने के साथ ही स्वयं को भी स्वस्थ रख सकते हैं।
