कच्चे माल के दाम नियंत्रण में फिर भी यहां तेजी का तडका नमकीन के भाव अनियंत्रित -दाल 65 तक पहुंची, तेल भी नियंत्रण में, फिर भी भाव 260 रुपए किलो

उज्जैन । नमकीन के दाम में एक बार लगा तडका उतरने का नाम नहीं ले रहा है। भाव झन्नाटेदार तीखा ही चल रहा है। एक नंबर नमकीन में अब तो सीधे तौर पर मनमानी का दाम शुरू हो गया है। अधिकतम खुदरा मुल्य पर भी कोई नियंत्रण नहीं रहा है। दो नंबर नमकीन ही 180 रूपए प्रति किलो के दाम में शहर में बेचा जा रहा है ,जबकि कच्चे माल में दाल,तेल,मसाले तकरीबन सभी नियंत्रण में हैं फिर भी नमकीन के भाव एक बार 240- 260 हुए तो फिर वापस नीचे नहीं आए हैं।

मालवा में उज्जैन-इंदौर –रतलाम का नमकीन देश के सभी भागों में प्रसिद्ध है। इसके स्वाद के कारण देश के अनेक भागों में इसकी पहुंच हैं। तमाम बडी कंपनियों के नमकीन के बाद भी यहां के नमकीन का स्वाद एक बार जिसे लग गया वो बार-बार मांगता है। स्थानीय निवासियों में अधिकांश घरों में नमकीन के बगैर भोजन ही पूरा नहीं होता है। भोजन का स्वाद ही इसके साथ लिया जाता है। इसकी खपत बराबर बढ रही है और आए दिन नमकीन के व्यापार में एक नया ब्रांड सामने आ रहा है।

भाव को लेकर उदासीनता-

नमकीन के दाम अनियंत्रण की स्थिति में हैं। इसे लेकर प्रशासनिक नजरअंदाजी भी कहा जा सकता है। एक समय कुछ माह पूर्व तेल के दाम 170 रूपए प्रति लीटर तक पहुंचने के दौरान भी नमकीन के भाव 240-260 तक पहुंच गए थे । ऐसे ही चना दाल भी जब 185 रूपए प्रति किलो पर बिकी उस दौरान भी नमकीन के भाव यही रहे। मसालों में भी भावों की स्थिति स्थिर बनी रहने के दौरान यही भाव रहे हैं वर्तमान में नमकीन के लिए उपयोगी प्रमुख कच्चा माल के भावों में कमी के बाद भी यही भाव बने हुए हैं उसके बावजूद नमकीन के दाम में कोई कमी नहीं हुई है। इसे लेकर कोई कार्रवाई भी प्रशासनिक स्तर पर नहीं हो रही है।

पूर्व कलेक्टर कियावत ने की थी कार्रवाई-

नमकीन के दामों को लेकर एक समय उज्जैन में कलेक्टर ने सीधे हस्तक्षेप किया था। 8 वर्ष पूर्व तत्कालीन कलेक्टर कविन्द्र कियावत ने नमकीन के दामों में बढोतरी को लेकर सीधा हस्तक्षेप करते हुए नमकीन निर्माता एसोसिएशन से बातचीत की थी और तत्कालीन दौर में नमकीन पर 20 रूपए की कमी प्रति किलो पर करवाई थी। इसके साथ ही शहर में शुद्ध नमकीन एवं फस्सी के नियमों के तहत उत्पादन को लेकर निर्माताओं को प्रोत्साहित भी किया था।

तेल के दाम से सवाया भाव-

नमकीन के जानकार पवन उस्ताद का कहना है कि नमकीन के भाव का गणित सीधे तौर पर प्रति किलो तेल पर चलता है। इसके साथ ही उसमे कुछ विशेष मसाले का उपयोग हो तो इसे सवाया माना जाता है। ऐसे में अगर तेल 115-120 तक है तो विशेष नमकीन के मान से भी जोडा जाए तो प्रतिकिलो पर अधिकतम 180-200 विक्रय मुल्य पर लाभ और लागत का गणित सफल है।

अब ज्यादातर मशीनों से काम-

नमकीन का निर्माण एक समय उस्तादों से करवाया जाता था। प्रति दिन कुछ किलो निर्माण होता था और उसे खपत के मान से ही निर्मित किया जाता था। अब इसे उद्योग के रूप में संचालित करते हुए मशीनों का उपयोग कर क्विंटलों से निर्मित किया जाता है। ऐसे में इसके दाम में और कमी की स्थि‍ति बनती है। अब उस्ताद कम और पैकिंग कर्मचारी ज्यादा लगते हैं।

शुद्धता और गुणवत्ता पर सवाल-

इधर इस व्यवसाय से जुडे सूत्रों का कहना है कि नमकीन में तेल का अलग ही गणित चलता है। कपास्या तेल का जमकर उपयोग इसमें होता है। इस तेल को दो तीन बार उपयोग किया जाता है। पहली बार में निकाला गया नमकीन शुद्धता के पैमानों पर होता है उसके बाद तेल का उपयोग बायो डीजल के उपयोग में दिया जाना चाहिए लेकिन ऐसा किया नहीं जा रहा है। इसके अलावा भी बहुतेरे फेर लागत मुल्य कम करने के लिए उपयोग किए जाते हैं।

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