खुसूर-फुसूर टोल पर पहुंचा जिला प्रोटोकाल अधिकारी का कथित कार्ड

खुसूर-फुसूर

टोल पर पहुंचा जिला प्रोटोकाल अधिकारी का कथित कार्ड

इन दिनों उज्जैन जिला मुख्यालय से लेकर घट्टिया तहसील के बीच एक बडे ही संगीन मसले पर अंदर ही अंदर कागजों से जांच की जा रही है। मामला ही कुछ ऐसा है कि खुलते ही सीधे फौजदारी का मसला खडा होना है। उज्जैन वाले साहब इस बात से परेशान हैं कि उनके जिले की जिम्मेदारी उन पर है और टोल पर तहसील का अदना सा और गांव का विधाता खूद को जिले का अधिकारी वाला कार्ड पेश कर मजे मार रहा था। मामला सामने यूं आया कि साहब जब खूद टोल पर पहुंचे तो सहजता से कार्ड सामने आया। कर्मचारी ने कहा कि एक पद पर दो अधिकारी तो साहब को अचरज हुआ। इसके बाद मालूम हुआ की उनके पद के नाम का परिचय पत्र तो टोल पर तकरीबन हर दिन ही सामने आता है। साहब ये सूनते ही और अचरज में पड गए । मामले की खुदाई की तो सामने आया कि तहसील के एक हल्के के विधाता ने जिला अधिकारी के पद का कार्ड बना रखा है और वे इसका भरपूर उपयोग कर रहे हैं। यहां तक की टोल पर मिले कार्ड की कापी में अधिकारी के हस्ताक्षर भी हैं जो फर्जी बताए जा रहे हैं। सब कुछ सामने आते ही साहब कागजों से सवालों के जवाब लेने में लग गए। उनके सवालों के जवाब में देवासगेट क्षेत्र के एक आईडी बनाने वाले का नाम भी सामने आ गया। फिर क्या था उज्जैन जिला मुख्यालय पर सेवा दे रहे अखिल भारतीय सेवा के अफसर ने उनके नाम के कार्ड के दुरूपयोग की स्थिति को भांपते हुए पूरे मामले की तह जानने के लिए डोज दे दिए हैं। प्रतिदिन घट्टिया से महिदपुर तक की यात्रा करने वाले विधाता को अब जाकर मामले में लपेटना शुरू किया गया है। अगर सब कुछ नियम कानून के मान से चला तो विधाता जी बीएनएस की विभिन्न धाराओं के आरोपी बनना तय है। खुसूर-फुसूर है कि टोल पर कई कार्ड ऐसे सामने आ रहे हैं जिनका कोई वजूद ही नहीं है। अनेक वाहनों में वार्नर लगे हैं और अंदर पीली बत्ती भी रखकर शहर से बाहर आने पर बत्ती भी वाहन पर लगा ली जाती है। कई सेवानिवृत्त भी अभी तक पीली बत्ती का मोह नहीं छोड पा रहे हैं। कार्ड वाले प्रकरण में सख्ती से काम हुआ तो यह प्रकरण नसीहत के रूप में सामने आएगा और जिले से एक संदेश जाएगा की गडबड करने वाला कोई भी हो बख्शा नहीं जा सकता।

 

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