खुसूर-फुसूर
अनगढ फारेस्टी…
बेंडे गांव में हथ्थी आया की तर्ज पर जिले में कुछ दिनों पहले शेर प्रजाति का जीव मृत मिला था। जिंदे की खबर विभाग को मिल नहीं पाई और मरे हुए की खबर को दबाने में विभाग ने दम लगाया। उपर से लेकर नीचे तक सब के सब बाले बाले ही सब कुछ कर देना चाह रहे थे। सब काम विभागीय नियम के अनुसार करने की बात तो उपर से लेकर नीचे तक के साब एवं अर्दली कर रहे थे लेकिन हालत यह रही की अनगढों को मृत जीव के अंगों के अवशेष को विशेष जांच के लिए भेजने के नियम तक पता नहीं थे। साब फारेंसिक जांच के लिए सागर अवशेष भेजने की बात कह गए और बाद में अवशेष जांच के लिए इंदौर के राउ के पास की रासायनिक लेब में भेजे गए हैं। हालत यह रही की जांच के लिए साब के अर्दली को अलग अलग अवशेषों को कैसे पैक किया जाएगा उन पर क्या अंकित किया जाना है पैकिंग किस तरह से होगा ये तक नहीं मालूम था। जैसा की बेंडे गांव में हथ्थी के आने पर किसी ने पूंछ को पकड कर क्या समझा और किसी ने सूंड को पकड कर क्या समझा और क्या समझाया। साब ने 2007 के तत्कालीन बडे साब की टिप्पणी शेर प्रजाति का जीव ट्रक में बैठकर आया होगा जैसे ही तकिया कलाम जीव आगर से आया होगा कह दिया। उपर से लेकर नीचे और नीचे से लेकर उपर तक किसी ने बडी बिल्ली आई कहां से और कैसे ,किस तरह से के सवाल को हल करने से कोई मतलब ही नहीं रखा। उसकी मौत कैसे हुई जबकि परिस्थिति इस तरह की नहीं थी। बडी बिल्ली अगर वृद्ध भी होती तो उसके डिहाईड्रेशन जैसे मसले को स्वीकार किया जा सकता था। व्यस्क होने के हालातों में पानी के अभाव के हाल में उसकी मौत को अनगढों ने ऐसे ही स्वीकार कर लिया जैसे बगैर कटर के मशीनों पर कटाई कैसे हो रही है। वाहनों में लदान लकडी पर हेमर का निशान गायब कैसे है। खुसूर फुसूर है कि सीधे तौर पर यहां ऐढा बनकर पेढा खाने का ही काम चल रहा है। लोअर से अपर और अपर से लोअर दोनों पक्ष एक समान ही चल रहे हैं। इनका ही एक पूर्व अनगढ वर्तमान के हाथ में मेहंदी लगवाने की तैयारी कर रहा ह
