April 26, 2024

इंदौर। आज डॉक्टर्स डे है और कोरोना योद्धा के रूप में तब जबकि शहर में मौत और संक्रमण से हाहाकार मचा हुआ था, मरीजों की सेवा करने वाले आयुष डॉक्टरों तथा नर्सों को संविदा नियुक्ति खत्म कर अचानक हटा दिया गया है। डॉक्टर्स डे पर तो लोग उनका सम्मान करते हैं, लेकिन सरकार ने हटा करके उन्हें बेरोजगार कर दिया। यह वे डॉक्टर और नर्स हैं, जिन्होंने अपना और अपने परिवार का जीवन दांव पर लगाते हुए मरीजों की सेवा की। उन्हें समय से पूर्व हटाने के साथ ही साथ पिछले दो माह का मानदेय भी नहीं दिया गया है। जब राधास्वामी कोविड सेंटर बनाया गया था, तब इन डॉक्टरों और नर्सों को वहां पर लगाया गया था। राधास्वामी कोविड सेंटर में 56 आयुष डॉक्टर तथा 102 नर्सिंग स्टाफ की नियुक्ति हुई थी, जिन्हें बगैर मानदेय दिए हटा दिया गया है। इसमें से कुछ तो ऐसे हैं जो पहली लहर से ही यानी 2 साल से अपनी सेवाएं दे रहे थे। उन्हें भी हटा दिया गया। गौरतलब है कि डेल्टा का खतरा आ चुका है और तीसरी लहर की आशंका व्यक्त की जा रही है। ऐसे समय में आयुष डॉक्टरों को हटा दिया गया। आयुष डॉक्टर का कहना है कि इन डॉक्टरों को हटाकर 56 लोगों की लिस्ट बनाई गई है। जिसमें एक भी अब तक की सेवा करने वाले डॉक्टर का नाम शामिल नहीं है। यानी नए डॉक्टरों को अब नियुक्ति दी जाएगी। जबकि पूर्व में इसी मामले से संबंधित आईएएस अफसर छवि भारद्वाज ने कहा था कि सेवाएं सितंबर तक बढ़ा दी गई है। फिर भी सेवाएं समाप्त कर दी गई। इस मामले में डॉक्टरों और नर्सों का एक प्रतिनिधिमंडल मंत्री तुलसी सिलावट से भी मिला। उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री विश्वास सारंग से इस बारे में बात करने का आश्वासन दिया है। कोरोना मरीजों की सेवा करने वाले डॉक्टरों और नर्सों को 20-25000 रुपये माह का साधारण मानदेय की पहली सैलरी भी अभी तक नहीं दी गई है। पहली लहर में भी 6 माह बाद मानदेय का भुगतान किया गया था।

किसी पर मेहरबानी और किसी को हटा देना जैसा भेदभाव क्यों..?

आयुष डॉक्टरों का कहना है कि पहली लहर में 3 माह तक के लिए डाटा मैनेजर अपूर्व को संविदा नियुक्ति दी थी। वे डेढ़ साल से अभी भी वर्क कर रही हैं। इतना ही नहीं बल्कि उन्हें निर्धारित योग्यता नहीं होने के बावजूद डीपीएम का प्रभार दिया गया है। उन्हें सरकारी इनोवा भी आने जाने के लिए दी गई है, जबकि उनका मानदेय लगभग 20000 रुपया महीना है। कुछ अन्य पर भी इसी तरह की मेहरबानियां हैं। किसी पर मेहरबानी और किसी को संविदा नियुक्ति से ही हटा देना प्रशासन का भेदभाव पूर्ण रवैया है।

काम नहीं आ रही नेता नगरी

आयुष डॉक्टरों और नर्सों के प्रतिनिधि मंडल ने मंत्री तुलसी सिलावट के अलावा सांसद शंकर लालवानी, विधायक जीतू पटवारी तथा भाजपा नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे सहित कई नेताओं के चक्कर काटे, लेकिन नेता नगरी से उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिल रहे हैं।