11 दिसंबर को शुक्र अस्त, 16 को खरमास, इस महीने शादी के केवल तीन दिन ही शुभ

उज्जैन
दिसंबर 2025 धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से इस बार सबसे ज्यादा चर्चित महीनों में से एक बन गया है। ज्योतिषाचार्य पंडित पवन पारीक के अनुसार दिसंबर की शुरुआत से ही ग्रहों की ऐसी स्थिति बन रही है कि विवाह सहित लगभग सभी मांगलिक कार्यों पर लगातार रोक लगने वाली है। सबसे बडी बात यह है कि इस पूरे महीने में विवाह के केवल तीन शुभ मुहूर्त ही उपलब्ध रहेंगे और फिर लगभग दो महीनों तक व्थ शहनाइयां शांत पड जाएगी। 11 या दिसंबर को शुक्र के अस्त होने और और 16 दिसंबर को सूर्य के धनु राशि में प्रवेश के साथ लगने वाले खरमास के कारण यह रोक और भी लंबी खिंच जाएगी। जिससे फरवरी 2026 गृहप्रवेश, नामकरण और नए काम के लिए चुनिंदा तिथियां दिसंबर का महीना धार्मिक मान्यताओं के लिहाज से विशेष माना जाता है, इसलिए लोग ज्योतिषीय गणना के अनुसार अपने महत्वपूर्ण कायों के लिए उचित दिन चुनने का प्रयास करते हैं। विवाह भले रुक जाएं, लेकिन गृहप्रवेश के लिए इस महीने केवल 5 और 6 दिसंबर को योग बन रहा है। नामकरण संस्कार के लिए भी कुछ चुनिंदा दिन उपलब्ध हैं जिनमें 4 दिसंबर से लेकर 28 दिसंबर तक के बीच कई तिथियां शुभ मानी जा रही हैं। नए काम की शुरुआत के लिए माह के मध्य और अंतिम सप्ताह की कुछ तिथियां अनुकूल रहेंगी। इसी तरह भूमि और संपत्ति खरीद के लिए भी दिसंबर में कुछ दिन शुभ बताए गए हैं जिन्हें लोग अपनी सुविधा और चुनिंदा ग्रहों की अनुकूलता के अनुसार चुन सकेंगे। तक आयोजन ठहर जाएंगे। इस बीच 16 दिसंबर को सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करते ही खरमास प्रारंभ हो जाएगा जो 14 जनवरी 2026 तक चलेगा। 14 जनवरी को खरमास समाप्त होने के बाद भी शादियां तुरंत शुरू नहीं हो पाएंगी क्योंकि शुक्र ग्रह 1 फरवरी 2026 तक अस्त ही रहेंगे।
2026 में दो ज्येष्ठ मास और फिर होलाष्टक, शादी का सीजन छोटा
साल 2026 पंचांग के अनुसार अत्यंत विशेष रहने वाला है क्योंकि इसमें पुरुषोत्तम मास लगेगा जो हिंदू वर्ष को सामान्य 12 महीनों की बजाय 13 महीनों में बदल देगा। इस वर्ष दो ज्येष्ठ मास पडेंगे और यह अवधि 2 मई से 29 जून 2026 तक यह लगभग 59 दिनों तक चलेगी। स्थिति पहले भी देखी जा चुकी है जब 2018 में दो ज्येष्ठ और 2023 में दो श्रावण मास पडे थे।
खरमास शुक्र अस्त में क्या करें, क्या न करें दिसंबर से फरवरी के बीच ग्रह-नक्षत्रों की वजह से कई तरह की धार्मिक सीमाएं लगती हैं। इस दौरान मांगलिक कार्य भले रुके रहते हों, लेकिन जीवन और स्वास्थ्य से जुडे कई काम सुचारू रूप से किए जा सकते हैं। पंडित पवन पारीक बताते हैं कि इस अवधि में शरीर को गर्माहट देने वाले आहार जैसे गुड, तिल, शहद, सत्तू, अदरक और घी का सेवन फायदेमंद माना जाता है। ठंड बढने पर सुबह धूप सेंकना, हल्का व्यायाम और रात में गरम पानी पीना प्रतिरक्षा बढाने में मदद करता है। खरमास और शुक्रास्त के समय बडे खर्च, भूमि विवाद, घर बदलने या व्यापार शुरू करने जैसी गतिविधियों से बचना बेहतर बताया गया है। यदि किसी जरूरी कारण से नया काम शुरू करना ही पडे, तो परिवार के बडे-बुजुर्गों और पुरोहित की सलाह लेकर शुभ लग्न या चौघडिया देखकर कदम बढाना शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह समय आत्मचिंतन, दान-पुण्य और संयम के साथ बिताने का सबसे उपयुक्त  काल है।

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