उज्जैन। पूरे प्रदेश के साथ ही उज्जैन जिले में भी सरकारी स्कूलों का रिजल्ट सुधारने के लिए स्कूलों में एक्स्ट्रा क्लासेस लगाने का निर्देश शिक्षा विभाग ने दिया है।
लेकिन विडंबना यह है कि इसी दौरान वोटर लिस्ट के गहन परीक्षण यानी, स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) की शुरुआत हो गई है। इसमें कलेक्टर से लेकर एसडीएम, तहसीलदार-नायब तहसीलदार के साथ शिक्षक भी बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर)बन डोर-टू-डोर जाकर वोटर्स को फॉर्म देने में लगे हैं। सरकारी स्कूलों के एसआईआर में लगने से एक्स्ट्रा क्लासेस का अभियान रुक गया है।
ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि स्कूलों का रिजल्ट कैसे सुधरेगा। गौरतलब है कि मप्र बोर्ड के स्कूलों में 3 नवंबर से अद्र्धवार्षिक परीक्षाएं शुरू हो गई हैं, पर स्थिति यह है कि बीएलओ ड्यूटी में लगे कुल कर्मचारियों-अधिकारियों में से 60 फीसदी से अधिक संख्या शिक्षकों की है। इनमें 35 प्रतिशत प्राचार्यों को सुपरवाइजर बनाया गया है। ऐसे में शिक्षा विभाग का वह आदेश प्रभावित हो रहा है जिसमें रिजल्ट सुधारने एक्स्ट्रा क्लास लगाने का आदेश दिया गया था। एसआईआर के काम से नाम हटवाने और स्कूलों के नजदीकी क्षेत्रों ड्यूटी लगाने के लिए शिक्षक कलेक्ट्रेट के चक्कर लगा चुके हैं। इतना ही नहीं अपने परिचित के अधिकारियों से फोन भी करा रहे हैं ।
