उज्जैन। धडल्ले से हो रहे आनलाईन ,सायबर फ्राड के दौर में भी बैंक अपने वरिष्ठ ग्राहकों को बगैर पूछे ही यूपीआई और आनलाईन बैंकिेंग की सुविधा धडल्ले से दे रहे हैं। यहां तक की वरिष्ठ ग्राहकों को भी पता नहीं है कि उनके मोबाईल पर ये सुविधा कब और कैसे दे दी गई। ऐसे में अगर कोई ऐसा वरिष्ठ ग्राहक जाकर बैंक में यूपीआई सुविधा बंद करने का कह रहा है तो उससे सवाल हो रहा है कि आप बंद क्यों करना चाहते हैं।
आनलाईन फ्राड के दौर में मोबाईल बैंकिंग वरिष्ठों के लिए परेशानी का सबब बन रहे हैं। अन्यानेक ऐसे प्रकरण सामने आए हैं कि जिन्हें ठीक से मोबाईल चलाना नहीं आता है वे इस तरह के कार्य में उलझ रहे हैं। कुछ प्रकरणों में घर के बच्चों एवं अन्य परिचितों ने ही वरिष्ठों को चूना लगा दिया और इसका खुलासा बाद में हुआ कि मोबाईल बैंकिंग में उनके साथ अपनों ने ही गडबड कर दी।
ये है हालात-
बैंकों में आने वाले कई वरिष्ठ ग्राहकों की स्थिति यह है कि वे अपनी डायरी में ही प्रतिमाह इंट्री करवाने आते हैं। जबकि बैंक प्रतिमाह आनलाईन ई-मेल पर स्टेटमेंट भेज रहा है। उन्हें ठीक से मोबाईल चलाना भी नहीं आता है । बस मोबाईल आन कर सून लेते हैं,मोबाईल से काल कर लेते हैं कुछ ज्यादा जानने वाले व्हाटसप,यू ट्यूब एवं अन्य एप से मनोरंजन कर लेते हैं। मोबाईल बैंकिंग के मामले में अधिकांश वरिष्ठ इसके लिए मना ही करते नजर आते हैं।
कम ही वरिषठ नजर आते हैं आनलाईन पेमेंट करते-
आनलाईन पेमेंट एवं मोबाईल बैंकिंग करते बाजार में भी कम ही वरिष्ठ नागरिक नजर आते हैं। सामान्य तौर पर बाजार में खरीदारी करने जाने वाले वरिष्ठ नकद राशि देकर ही अपना लेनदेन करते हैं। इससे इतर कुछ वरिष्ठ अपने एटीएम का उपयोग स्वेप मशीन पर करते देखे जाते हैं। मोबाईल बैंकिेंग में बारकोड स्केन कर पैमेट करने वाले ग्राहकों में वरिष्ठों की संख्या कम ही देखी जाती है।
बैंक खातों में बगैर अनुमति ही यूपीआई सुविधा-
एसबीआई माधवनगर में वरिष्ठ नागरिक हरिराम जी ने बताया कि मेरे बैंक खाते पर यूपीआई सुविधा बगैर मुझे बताए ही चालू कर दी गई । दो दिन पहले पोते ने मोबाईल पर पेटीएम शुरू कर कुछ भूगतान भी किए । उसने ही मुझे बताया कि आपके मोबाईल पर यूपीआई सुविधा चालू है। मुझे मोबाईल ठीक से चलाना नहीं आता है । मोबाईल बैंकिंग से तो दूर ही रहा हुं ऐसे में बैंक में जाने और यूपीआई सुविधा बंद करने का कहा तो मुझसे पूछा गया कि आप इसे बंद क्यों करना चाहते हैं।
फ्राड होने की संभावना अधिक-
अधिकांश वरिष्ठ नागरिकों को मोबाईल के बारे में अधिक समझ नहीं होती है। ऐसे में वे सामान्य रूप से किसी भी आसपास वाले एवं बच्चों की मदद लेते हैं जिस दौरान उनके साथ फ्राड होने की संभावना प्रबल रहती है। ऐसे में कई बार तो वे फ्राड होने पर भी किसी से कह नहीं पाते हैं चुंकी मामला घर परिवार का होता है और बच्चों से जुडा होने पर इससे समस्या हो सकती है।
वरिष्ठ से सहमति के बाद दें सुविधा-
वरिष्ठों के अनुसार मोबाईल बैंकिंग की सुविधा बैंकों को वरिष्ठ ग्राहकों से पूछ कर ही देना चाहिए। ग्राहक की इसमें सहमति आवश्यक होना चाहिए। अनेक बैंकों ने सीधे-सीधे केवायसी के बाद से अपने ग्राहकों के मोबाईल नंबर पर बगैर अनुमति के ही यूपीआई सुविधा को लागू कर दिया है,जबकि बैंकों में पहुंचने वाले वरिष्ठ ग्राहकों की संख्या और उनकी स्थिति स्पष्ट करती है कि वे यूपीआई संचालन के लिए योग्य नहीं हैं। कई बार बैंकों ग्राहक सेवा केंद्र पर ही वरिष्ठ ग्राहक एटीएम से ओटीपी के माध्यम से नकदी निकालने में ही परेशान होते रहते हैं।
बैंक अपने मतलब के एसएमएस दे रहा-
वरिष्ठ ग्राहकों का कहना है कि तकरीबन सभी बैंक अपने मतलब के संदेश ग्राहकों को एसएमएस पर देते हैं। ग्राहक से संबंधित जानकारी के लिए उसे एसएमएस दिया जाना चाहिए। एसएमएस के एवज में बैंक ग्राहक से हर माह एक तय राशि जीएसटी के साथ काट रही है उसके बावजूद ग्राहक से संबंधित मैसेज कम ही दिए जाते हैं।यहां तक की कई बार तो लेनदेन के मैसेज भी नहीं आते हैं।
