उज्जैन। तीन साल पहले एक जुलाई 2022 को सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया गया था। इसके बाद भी प्रतिबंध अब भी बेअसर सा ही है। रोजाना शहर में लगभग 5 क्विंटल अमानक पॉलीथिन का बेधडक उपयोग हो रहा है। प्रतिबंध के बाद यह अवैध व्यापार दिन दुन रात चौगुनी तरक्की कर रहा है। इसकी खपत बराबर बढ रही है।
पर्यावरण के लिए हर तरह से घातक पालीथीन पर प्रतिबंध के बाद इसका व्यापार एक तरह से अवैध ही है। तीन साल में अवैध रूप से पॉलीथिन का अरबों रुपए का व्यापार शहर में हुआ है और बराबर जारी है। हाल ही में नगर निगम एवं प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड ने संयुक्त कार्रवाई में करीब 12 टन से अधिक अवैधानिक पालीथीन जब्त की थी। इसके बावजूद इसका व्यापार करने वाले लाभ के फेर में इसकी अवैध मांग की पूर्ति करने के लिए और माल मंगवातें हैं। पिछले 15 दिनों में हुई इस तरह की कार्रवाई में करीब डेढ से पौने दो टन प्रतिबंधित पालीथीन जब्त की गई है।
नहीं होता निष्पादन-
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस प्रतिबंधित पॉलीथिन का डिस्पोजल नहीं होता। जाहिर सी बात है कि हाल ही में जब्त पॉलीथिन जमीन और पशुओं के साथ ही पर्यावरण को तगड़ा नुकसान पहुंचाते लेकिन उसके पहले ही सूचना मिलने पर उसे जब्त कर लिया गया। पशुओं के साथ ही यह मानव के लिए भी हानिकारक है। प्रकृति के लिए भी हर स्तर पर हानिकारक है। भू- जल संरक्षण में यह सबसे बडी बाधक है।
औपचारिकता बनी कपडे की थैली-
जनजागरण के माध्यम से लोगों को जागरूक करते हुए पालीथीन की बजाय कपडे की थैली का इस्तेमाल करने के लिए कहा गया । इसे लेकर रैली और तमाम जतन किए गए। यहां तक की कई संगठनों ने कपडे की अच्छी संख्या में थैलियों का वितरण किया लेकिन लोगों ने थैली लेकर घर में रख ली और प्रति दिन बाजार से प्रतिबंधित पालीथीन की थैली में ही सामग्री को ले जा रहे हैं। शहर में वार-त्योहार पर जिम्मेदार औपचारिकता निभाने के लिए बाजार में निकलते हैं।
प्रति दिन करीब 3 क्विंटल खपत-
बाजार में अधिकांश दुकानदार, फैरी लगाने वाल, फूटपाथ पर बैठकर दुकान चलाने वालों से लेकर बडी शाप तक में प्रतिबंधित पालीथीन में ही सामान दिया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार शहर में तकरीबन सभी दुकानदार और रेहडी वाले इस पालीथीन का उपयोग कर रहे हैं। इस उपयोग के चलते प्रति दिन करीब 3 क्विंटल के लगभग प्रतिबंधित पालीथीन का उपयोग हो रहा है। इसका विक्रय करने वाले बराबर बेच रहे हैं। बडे स्टाकिस्ट स्टाक कर धीरे-धीरे माल निकाल कर पूरे जिले में सप्लाय देते हैं। यहां तक की गोडाउन जमकर भरे रहते हैं।
ऐसा लग ही नहीं रहा प्रतिबंधित है पॉलीथिन-
शुरुआत में जब सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध की जानकारी सामने आई तो व्यापारियों ने सिंगल यूज प्लास्टिक के दाम भी बढ़ा दिये। जो पॉलीथिन पचास रुपए में चार सौ ग्राम बिक रही थी। उसकी कीमत तीन गुना तक बढा दी गई और आज यह डेढ से दौ सो रुपए लिए जा रहे हैं। अनुमान लगाया जा रहा था कि पॉलीथिन बिल्कुल बेन हो जाएगी। लेकिन, कुछ ही समय में दाम पूर्व की तरह हो गए। वहीं मार्केट में सेल्समेन खुद वाहनों पर बैठकर पॉलीथिन सप्लाय कर रहे हैं।
अधिकांश डिस्पोजेबल का उपयोग-
बाजार में छोटे दुकानदार से लेकर बड़े व्यापारी तक प्रतिबंधित प्लास्टिक से बने सामान व अमानक पालीथिन का उपयोग रोज की तरह कर रहे हैं। अधिकारियों की सुस्ती का नतीजा यह हो रहा है कि प्रतिबंध लगने के बाद भी सिंगल यूज प्लास्टिक के दायरे में आने वाले सभी प्रकार के डिस्पोजल सामग्री का उपयोग धड़ल्ले से हो रहा है। चाय, ज्यूस व अन्य दुकानों पर प्रतिदिन डिस्पोजल का उपयोग किया जा रहा हैं। सब्जी, किराना, फल व अन्य सामग्री के विक्रेता ग्राहकों को 40 माईक्रान से कम मोटाई वाली पालीथिन की थैलियों में सामान भरकर दे रहे हैं।
