उज्जैन। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जादू बाजार में अब सिर चढकर बोल रहा है। मंदिर में दान से लेकर बाजार तक नकद अब धीरे-धीरे कमजोर पड रहा है। हाईटेक तरीके से यूपीआई पेमेंट के कारण नकदी व्यवस्था कमजोर होने लगी है। यूपीआई से 50 प्रतिशत तक ट्रांजेक्शन बढ़ गए हैं। हाल यह है कि नकदी का संकट आने लगा है रोटेशन चलाने में छोटे मोटे व्यवसाई भी बार कोड से पेमेंट ले रहे हैं और थोक वाले को भी उसी से भूगतान कर रहे हैं। सब्जी वाले भी अब फूली हाईटेक होकर पेमेंट का लेनदेन यूपीआई से कर रहे हैं।
संभव है आने वाले समय में बैंकों के एटीएम के धीरे-धीरे उठावने होने लग जाएं और गिनती के एटीएम ही बैंक रखें। हाईटेक होते पैमेंट के इस जमाने में अब एटीएम की जरूरत धीरे-धीरे कम होने लगी है। बैंक हर महीने स्टेटमेंट भी मेल पर दे रहे हैं जिससे पास बुक की इंट्री का भी झंझट धीरे-धीरे समाप्ति की और आने वाला है। यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस यानिकी यूपीआई से ट्रांजेक्शन में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। शहर में 50 फीसदी से अधिक ट्रांजेक्शन यूपीआई से किए जाने लगे हैं।
एटीएम ट्रांजेक्शन पर असर-
सब्जी वाले बार कोड के साथ मोबाईल नंबर पर भूगतान स्वीकार कर रहे हैं। थोक बाजार में वे भी सीधे आनलाईन यूपीआई से पेमेट देने लगे हैं। इसी तरह से अधिकांश व्यापारी भी यूपीआई पर मूव कर चुके हैं। ग्राहक भी ऐसे ही स्थिति में है। छोटे से छोटे और बडे से बडे दुकानदारों ने बार कोड लगा दिए हैं। इससे बैंकों के एटीएम ट्रांजेक्शन पर असर आना शुरू हो गया है।एटीएम यूजर्स की संख्या धीरे-धीरे कम होती जा रही है।
मंदिरों के दान भी यूपीआई उपयोग-
बाजार में धीरे-धीरे नकद की हालात पतली होने लगी है। नकदी लेकर रखना और चलना दोनों की रिस्क के साथ ही सहजतापूर्ण व्यवसाय में सामान्य जन सब्जी वाले का , जनरल स्टोर का, किराना सामान यहां तक की चाय, पान की दुकान पर भी छोटा मोटा भूगतान करने में युपीआई का इस्तेमाल निरंतर बढता जा रहा है। यहां तक कि शहर के प्रमुख मंदिरों में भी यूपीआई से ही लोग दान करने लगे हैं।
आनलाईन पूजा,हाईटेक दान-
जिस तरह से आनलाईन पूजा होने लगी है वैसे ही हाईटेक यूपीआई से दान की स्थिति भी बढती जा रही है। भगवान के मंदिरों में भी दान-दक्षिणा का काम ऑनलाइन ट्रांजेक्शन से होने लगा है। अभी तक लोग दान-पुण्य के लिए केश का उपयोग करते थे। लेकिन, बदलते काल में नकदी को बाय-बाय हो रहा है और लेनदेन का तरीका हाईटेक हो रहा है। पूजा पाठ आदि की दक्षिणा तो लंबे समय से ऑनलाइन हैं। इसके साथ अब भगवान को चढ़ाया जानेवाला दान भी क्यूआर कोड स्कैन कर यूपीआई से हाईटेक हो रहा है।
कुछ ऐसा है हाईटेक यूपीआई-
यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के जरिए कई बैंक खातों को एक मोबाइल ऐप पर प्रबंध किया जा सकता है। इसके एक एप्लीकेशन में कई बैंक खातों को लिंक किए जा सकते हैं। किसी को पैसे भेजने के लिए आपको मोबाईल नंबर,खाता नंबर ,यूपीआई आईडी की जरूरत पड़ती है। इस भूगतान में ओटीपी से लेकर कार्ड नंबर,सहित अन्य कोई जरूरत नहीं होती है।
खुलले के झंझट से मुक्ति लेनदेन दोनों में-यूपीआई पेमेंट की सुविधा से लेनदेन दोनों सुविधाजनक बन गया है। इसमें खुल्ले रूपयों के झंझट ही नहीं होता है। न इसमें दुकानदार आपको रूपए के एवज में सामग्री पकडा रहा है और नहीं ही उपभोक्ता ही परेशान हो रहा है। सीधे दुकानदार के बार कोड को स्केन कर यूपीआई से जितनी राशि है उतनी ही चंद सेकंड में ही हस्तांतरित हो रही है।
गल्ला खाली,खाता भरा हुआ-
यूपीआई पैमेट का बाजार में असर यह आ रहा है कि नकदी धीरे-धीरे गायब हो रही है। किसी से एक मुश्त कुछ हजार की मांग करो तो वह नकदी से मना कर देगा और आन अकाउंट यूपीआई से देने को तैयार हो जाएगा। हाल यह हैं कि दुकानदार को अब नकदी इकट्ठा करने का झंझट भी नहीं होता है।सीधे माल उपभोक्ता ले जा रहा है और भूगतान खाते में पहुंच रहा है। नकदी लेकर चलने की समस्या से भी मुक्ति मिल रही है।
