ट्रीपल एसएम आईडी,विवाह प्रमाण पत्र के साथ ई केवायसी में उलझ रही राशि पोर्टल अपडेट हुआ तो प्रसुताओं की सहायता राशि में उलझन आई -प्रथम प्रसुती के मामलों में ही आ रही परेशानी , दुसरी बार की सहायता में नहीं कोई टंटा

 

उज्जैन । स्वास्थ्य विभाग द्वारा सरकारी अस्पतालों में होने वाली प्रथम प्रसुति के मामलों में आिार्थ् सहायता राशि में उलझन की स्थिति बन रही है। ये उलझन ट्रीपल एसएम आईडी,ईकेवायसी और विवाह प्रमाण पत्र को लेकर उत्पन्न हो रही है। पति के साथ ट्रीपल एसएम आईडी और ईकेवायसी नहीं होने पर ऐसे मामलों में अपडेट हुए साफ्टवेयर से राशि उलझ रही है।

स्वास्थ्य विभाग ने प्रसुताओं को जारी होने वाली सहायता राशि को लेकर अपडेट स्थिति कर दी है। यह राशि प्रसुताओं के खाते में ही जाती है। असल में इस अपडेशन से ही प्रथम प्रसुती के लिए आने वाली महिलाओं के मामले में यह परेशानी आने की स्थिति सामने आ रही है।

इसलिए आ रही परेशानी-

 

स्वास्थ्य विभाग के अपडेट साफ्टवेयर में  अब विवाह प्रमाण -पत्र और पति के साथ समग्र आईडी होना आवश्यक है। प्रथम प्रसुती की स्थिति में ज्यादातर महिलाओं की समग्र आईडी पति के साथ नहीं होती है उनके मायके के परिवार के साथ ही होती है। ससुराल में इसे पति के साथ बनवाना भी आसान नहीं है इसके लिए विवाह प्रमाण पत्र आवश्यक होता है। विवाह प्रमाण पत्र भी बहुत ही कम लोग बनवाते हैं। योजना के तहत आने वाली अधिकांश प्रथम प्रसुतामहिलाओं के पास यह सर्टिफिकेट नहीं है। एक अप्रैल के पहले सिर्फ महिला के पास समग्र आईडी होने पर ही योजना का लाभ मिल जाता था। भले ही वह मायके की समग्र आईडी क्यों ना हो। लेकिन, स्वास्थ्य विभाग अब योजना के लाभ के लिए पति के साथ महिला की समग्र आईडी मांग रहा है। इसके चलते प्रसुता परेशान हैं और उनके साथ ही विभागीय रूप से इनसे जुडी एएनएम,आंगनवाडी कार्यकर्ता,आशा कार्यकर्ता भी हैरान परेशान हैं।

 

प्रसूति सहायता योजना के लाभ-

 

प्रसूति सहायता योजना में सरकारी अस्पताल में डिलीवरी होने पर महिलाओं को 6 हजार 400 रुपए मिलते हैं। इसमें 1400 रुपए प्रसव सहायता और पांच हजार रुपए महिला बाल विकास की मातृत्व वंदना योजना के मिलते हैं। वहीं यदि महिला के पास श्रमिक कार्ड है तो प्रसूति सहायता के 6400 रुपए के अतिरिक्ति 10 हजार 600 रुपए की राशि अलग से मिलती है। इस तरह श्रमिक कार्ड होने पर 17 हजार रुपए योजना में मिलते हैं। सभी दस्तावेज पूरे होने पर एएनएम अनमोल एप 2.0 पर जानकारी अपलोड करती है। जानकारी अपलोड होने पर भोपाल से यह राशि सीधे महिलाओं के अकाउंट में पहुंच जाती है।

टेढे नियम है विवाह प्रमाण पत्र के-

विवाह प्रमाण पत्र नगरीय क्षेत्र में बनवाना आसान नहीं है। उसके लिए या तो लोकसेवा केंद्र या फिर  नगरनिगम/ नगर परिषद/ नगर पालिका  में आवेदन करना होता है। इसकी प्रक्रिया में लगने वाले दस्तावेज एवं पुष्टि पत्रक तैयार करने में ही काफी समय लगता है। मैरिज सर्टिफिकेट के लिए शादी की पत्रिका,शादी के फोटो, फेरे कराने वाले पंडितजी का आधार कार्ड और उनके द्वारा शादी प्रमाणित करने का पत्र हस्ताक्षर सहित, वर और वधु पक्ष के पांच-पांच गवाह के आधार कार्ड, उनके हस्ताक्षर, 50 रुपए के स्टाम्प पर शपथ पत्र, दूल्हा और दुल्हन का शपथ-पत्र, माता और पिता के आधार और शपथ-पत्र के साथ आवेदन करना होता है। यहां आवेदन की जांच की जाती है। निर्धारित दस्तावेज के आधार पर जांच कर संबंधित निकाय मैरिज सर्टिफिकेट जारी करता है। अधिकतम एक माह में यह प्रमाण पत्र मिल जाता है। इसकी प्रक्रिया में ही लंबा समय लगता है ।

-फरवरी में विभाग के पोर्टल पर  अनमोल एप के साफ्टवेयर को अपडेट किया गया है। इसके तहत डीवीडी में जानकारी पूरी नहीं होने पर भूगतान नहीं होता है। इसके लिए महिला का पति के साथ ट्रीपल एसएम आईडी होना और अन्य दस्तावेज का होना अनिवार्य है। लंबित मामले बहुत कम ही हैं।

-डा.अशोक कुमार पटेल,सीएमएचओ,उज्जैन

 

 

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