उज्जैन। भावांतर पर भंवर छाने लगा है। छद्म का आभार अब असर दिखाने लगा है। ऐसे में सरकार किसानों के सामने घिरती जा रही है। आभार रैली किसानों की थी तो मंडियों में रोज का बंद कर आंदोलन करने वाले कौन हैं ? भावांतर किसान हित का है तो आखिर किसानों की नाराजगी दूर क्यों नहीं हुई ।
उज्जैन हो या इंदौर या फिर बदनावर हो या मंदसौर चौतरफा रोज का मंडियों में खरीदी के भाव को लेकर किसानों का विरोध सामने आ रहा है। किसान बराबर अपनी बात रख रहा है और मंडी में व्यापारी की अपनी परेशानी है। प्रशासनिक अधिकारी बार-बार बंद होती मंडियों का यह दृश्य मौन होकर देख रहे हैं। मात्र आश्वासन की घूट्टी के अतिरिक्त उनके पास कुछ नहीं है। सोयाबीन के दामों की स्थिति बराबर नीचे की और ही दिख रही है। प्लांटों के रेट कम करने से व्यापारी भी मजबूर हो रहा है। उज्जैन मंडी में ही पिछले एक सप्ताह में भाव को लेकर 5 बार मंडी में बंद का अवरोध सामने आया है और इस दौरान अधिकारी पहुंचे हैं। जैसे-तैसे मंडियों में काम शुरू हुआ है।
किसानों की नाराजगी प्रश्नवाचक बनी-
भावांतर को लेकर भाजपा ने आभार रैली निकलवा दी थी। इसे बडे स्तर पर सफल बताया गया था। आभार रैली निकलवा दी थी किसानों की तो फिर अब किसान क्यों भड़के हुए हैं। इससे बडा सवाल यह पैदा हो गया है कि आभार रैली में किसान थे या बीजेपी के नेता …? इससे किसानों के साथ छद्म का भंवर उजागर हो रहा है। किसानों के सामने अधिकारी भी असहाय हो रहे, अधिकारियों के पास कोई जवाब नहीं है । भावान्तर को लेकर प्रदेशभर के किसानों में भारी आक्रोश व्याप्त है।
अधिकारियों के पास नहीं कोई हल-
हाल यह है कि रोज़ पूरे प्रदेश की मंडियों में विवाद हो रहे हैं अधिकारियों के पास कोई हल नहीं है। देवास मंडी का निरीक्षण करने गए संभाग स्तर के अधिकारी ने किसानों की नाराजगी को अपने सामने देखा। किसानों का कहना है कि एक ही माल को दो अलग अलग दिन बेचने पर भाव में भारी अंतर आ रहा है। सस्ते दामों पर उपज बेचेंगे तो खर्च निकलना भी मुश्किल हो जायेगा। किसानों के सामने विपरित परिस्थितियां बन रही है।
पूर्व विधायक पटेल का तीखा आरोप –
नीमच क्षेत्र के पूर्व विधायक नंदकिशोर पटेल ने सरकार पर इस मामले में तीखे आरोप लगाते हुए कहा है कि आपदा पीड़ित किसानों को डिफॉल्टर घोषित कर खाद – बीज से वंचित करना खुला अत्याचार है। श्री पटेल ने, पीड़ित किसानों से ऋण वसूली की कार्यवाही स्थगित कर ब्याज माफी,ऋण वसूली किश्तों में करने और अविलम्ब खाद – बीज वितरण प्रारंभ करने की मांग की है। श्री पटेल के अनुसार नीमच और मंदसौर जिलों के 58 हजार 889 किसानों को सहकारी बैंकों के डिफॉल्टर घोषित कर सोसायटियों से उनको खाद – बीज वितरण पर पाबंदी एवं उनके विरुद्ध मुकदमें चला करऋण वसूली की प्रक्रिया प्रारंभ करने कार्यवाही को खुला अत्याचार बताया हैं।
