चैकिंग के दौरान दरगाह मंडी के पास रोकी थी गाड़ी एमपीईबी अधीक्षण यंत्री और पुलिस के बीच हाथापाई

उज्जैन। दरगाह मंडी चौराहा के पास शनिवार-रविवार रात चैकिंग के दौरान एमपीईबी अधीक्षण यंत्री और पुलिस के बीच हाथपाई की नौबत बन गई। पुलिसकर्मियों की वर्दी फट गई, अधीक्षण यंत्री ने मारपीट का आरोप लगाया। मामले में पुलिस ने शासकीय कार्य में बाधा का प्रकरण दर्ज किया है।
कानून व्यवस्था के साथ अपराधियों पर अंकुश लगाने के लिये पुलिस द्वारा चैकिंग अभियान की शुरूआत की गई। शनिवार रात एएसपी नितेश भार्गव, चिमनगंज थाना प्रभारी गजेन्द्र पचौरिया टीम के साथ दरगाह मंडी चौराहा के आगे वाहनों की चैकिंग कर रहे थे। उसी दौरान महिन्द्र बोलेरो क्रमांक एमपी 09 टीबी 5835 से एमपीईबी अधीक्षण यंत्री देवीसिंह चौहान वहां से निकले। पुलिस ने वाहन को रोक लिया। इस दौरान अधीक्षण यंत्री और पुलिस के बीच नोंक-झोंक हो गई। पुलिस ने उन्हे हिरासत में लिया और बोलेरो जप्त कर थाने ले गई। जहां अधीक्षण यंत्री के खिलाफ शासकीय कार्य में बाधा का प्रकरण दर्ज किया। थाना प्रभारी गजेन्द्र पचौरिया ने बताया कि तेजगति में आ रहे वाहन को रोकने पर उसमें सवार व्यक्ति ने आरक्षक हरिशरण तोमर, सुरेन्द्र ताम्रे, सैनिक चंदनसिंह और उसके साथ हाथपाई की। जिसमें पुलिस कर्मियों की वर्दी फट गई और जवानों को चोंट आई।
अधीक्षण यंत्री का आरोप की गई मारपीट
एमपीईबी अधीक्षण यंत्री पुलिस पर मारपीट का आरोप लगाते हुए बताया कि उनका वाहन रोकने के बाद पुलिस कर्मचारी ने गाड़ी की चाबी निकाल ली थी। वह वह रूपाखेड़ी तराना से खेड़ापति विद्युत केन्द्र जा रहे थे। चाबी निकालने का विरोध किया तो मारपीट की गई और घंटो तक थाने मे बैठाकर रखा गया, जबकि वह विभागीय कार्य से आ रहे थे। उनके चालक का विजन कमजोर होने पर वह खुद गाड़ी चला रहे थे। अधीक्षक यंत्री देवीसिंह का कहना था कि पुलिसकर्मियों के साथ एएसपी नितेश भार्गव ने भी मारपीट की है।
आईजी कार्यालय पहुंचे बिजली अधिकारी
रात में पुलिस द्वारा अधीक्षण यंत्री पर दर्ज हुए शासकीय कार्य में बाधा के प्रकरण के बाद रविवार दोपहर को एमपीईबी के अधिकारी और कर्मचारी आईजी कार्यालय पहुंचे और पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करते हुए एएसपी गुरूप्रसाद पाराशर को ज्ञापन सौंपा। इस दौरान ज्ञापन का वाचन सहायक यंत्री रूपेश खंडेलवाल ने करते हुए बताया कि क्षेत्रीय कार्यालय में पदस्थ अधीक्षण यंत्री देवीसिंह चौहान को सुबह 5 बजे तक थाने में बैठाया गया था। उनका मेडिकल कराया गया। जिसमें शराब की पुष्टि नहीं हुई। मुख्य अभियंता अधिकारी बीएल चौहान ने पुलिस अधीक्षक को फोन पर घटना की जानकारी दी। उन्होने निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया और एफआईआर दर्ज नहीं होने की बात कहीं। बावजूद थाना प्रभारी ने बिना जांच के एफआईआर दर्ज कर ली गई। जो झूठी है।

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