घोषित रूप से नो व्हीकल जोन है,इतने सारे वाहन आ कहां से गए

दैनिक अवंतिका उज्जैन। 
उज्जैन शहर में सैकड़ों ऐसी जगह है जो घोषित रूप से नो व्हीकल जोन है। लेकिन यहां हर समय सैकड़ों वाहन खड़े देखे जा सकते हैं। सवाल यह है कि जब नो-व्हीकल जोन है तो यहां इतने सारे वाहन आ कहां से गए। इसका जवाब जिम्मेदार तो नहीं देंगे लेकिन हम ही दे देते हैं। आपको बता दे कि जितने भी प्रमुख नोव्हीकल जोन बने हुए है वहां कोई वाहनों को रोकने वाला ही नहीं होता है। ऐसे में वाहन चालक नो-व्हीकल जोन में ही घूस जाते हैं और चाहे जहां वाहन खड़े कर अव्यवस्था फेला देते हैं। साथ ही जाम अलग लगवा देते हैं। 
हर में यातायात के जवान जवान आपको उन्हीं जगह पर तैनात नजर आते हैं जहां माल मिलता हो यानी शहर से बाहरी इलाकों की सड़कों पर एक तरफ पेड़ के नीचे जहां से वे वाहन चालकों को इशारा कर रोकते हैं और अनावश्यक उनसे नियमों की बात कर पैसे की मांग करते हैं।आपको यह भी बता देते हैं कि 2016 के सिंहस्थ महापर्व से पहले जब जिला सड़क सुरक्षा समिति की बैठक हुई थी तो उसमें शहर का सर्वे कराकर कई स्थानों को ब्लैक स्पॉट घोषित किया गया था। ताकि सड़क दुर्घटना रोकी जा सके। इसके साथ ही नो-व्हीकल जोन बनाए गए ताकि वहा भी वाहनों की आवाजाही रोकी जा सके। लेकिन 7 साल के बाद भी उज्जैन शहर में न तो यातायात सुधारा जा सका और लोगों से जाम की समस्या से निजात मिली। बल्कि यह तो और बढ़ती ही जा रही है। शहर को मुख्य मार्गों से जोड़ने वाले ब्लैक स्पॉट अब तक खत्म नहीं किए जा सके हैं तो नो-व्हीकल जोन में वाहन चालक लगातार दोनों तरफ से आवाजाही कर रहे हैं। जिला सड़क सुरक्षा समिति की बैठक हर माह व संभागीय सड़क सुरक्षा समिति की बैठक हर तीन माह में होती है, जिसमें दुर्घटना रोकने से लेकर जाम से निपटने जैसे विषयों पर केवल चर्चा की जाती है। निर्णय लिए जाते हैं लेकिन जो नियम बनते हैं उनका पालन नहीं होता है। बैठक में पीडब्ल्यूडी, एमपीआरडीसी, एनएचएआई, ट्रैफिक पुलिस, नगर निगम से लेकर जिला पंचायत व आरटीओ के अफसर तक मौजूद रहते हैं। लेकिन सब एक दिन की बैठक कर लौट जाते हैं और अगले दिन से शहर का यातायात फिर वहीं का वहीं होता है।
उज्जैन शहर को जोड़ने वाले इन
प्रमुख मार्ग पर खतरनाक स्पॉट    शहर को जोड़ने वाले 5 प्रमुख मार्ग है जहां करीब 26 ब्लैक स्पॉट है जो खतरनाक है।  – इंजीनियरिंग कॉलेज तिराहा पर लाल पत्थर की वॉल की इतनी ऊंची है कि देवास रोड की तरफ से आने वाले वाहन दिखाई नहीं देते हैं। – आगर रोड, देवास रोड, नागझिरी चौराहा पर भी इंजीनियरिंग कॉलेज की तरफ से आने वाले वाहन चालकों को होमगार्ड मुख्यालय के गेट तक वाहन दिखाई नहीं देते हैं। – हरिफाटक मार्ग पर स्थित शांति पैलेस चौराहा पर रोटरी नहीं बनाई जाने से इंदौर-उज्जैन फोरलेन, सिंहस्थ बाईपास पर नानाखेड़ा की तरफ से आने वालों के बीच में दुर्घटनाएं होती है।  उज्जैन-उन्हेल-जावरा मार्ग पर ही 28 कर्व और पांच ब्लैक स्पॉट हैं।  शहर में जितने भी एकांकी मार्ग घोषित हैं, उन पर सख्ती से वन-वे सिस्टम लागू नहीं है। महामृत्युंजय द्वार से सिंधी कॉलोनी तिराहे से होते हुए तीन बत्ती तक सड़क का निर्माण बेतरतीब हुआ है। मार्ग एकांकी घोषित हैं लेकिन सख्ती से पालन नहीं होने से दोनों तरफ से वाहन आते हैं। 75 प्रतिशत वाहन तो महाकालक्षेत्र में लगता हैं यहां बड़ा जामपुराने शहर की बात करे तो 70 प्रतिशत वाहन तो मंदिर क्षेत्र में ही दिखाई देते हैं जिनसे दिनभर यहां जाम लगता है। इनमें टू व्हीलर से लेकर थ्री व्हीलर और फोर व्हीलर वाहन सब शामिल है। ई-रिक्शा, मैजिक व ऑटो की संख्या इस क्षेत्र में सबसे अधिक दिखती है। इससे महाकाल मंदिर क्षेत्र की सड़के भरी रहती है। लोगों को टूव्हीलर निकालने में दिक्कत होती है और कई बार तो पैदल चलने वालों को परेशानी होती है। वर्तमान में यहां जाम खत्म करने की सबसे अधिक जरूरत है।विशेषज्ञों की राय, प्रशासन येे करें तो जाम से निजात मिल सकती हैयातायात विशेषज्ञों का कहना है कि यदि महाकाल मंदिर और इसके आसपास के क्षेत्र में जाम की समस्या खत्म करनी है तो प्रशासन को सख्त कदम उठाकर सबसे पहले गोपाल मंदिर व सराफा क्षेत्र में सड़क के बीच में वाहनों की पार्किंग बंद कराना होगी। महाकाल क्षेत्र में बीच सड़क पर हो रहे व्यापार को बंद करवाना होगा। क्षेत्र यदि नो-व्हीकल है तो यहां वाहनों को रोकना होगा। तब जाकर यातायात में सुधार होगा। 000
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