उज्जैन। जिले में ग्राम पंचायत सचिवों की वैसे तो जमकर गोटी जमी हुई है। इसके बावजूद इस बार के तबादलों में निजी अनुसार एक दर्जन सचिव दुसरे जिले में जाने की संभावना है। इसके साथ ही 40 से ज्यादा सचिवों को जिले में तबादला निती के अनुसार तब्दील किया जा सकता है। इसके लिए जिले से जानकारी भोपाल जा चुकी है।
प्रदेश के कई जिलो सहित उज्जैन में भी कई सचिव लंबे समय से एक ही पंचायत में अंगद के पैर की तरह से जमे हुए हैं। इन्हें हिलाने के हिसाब से अब परिवर्तन की बयार चल सकती है। सरकार इसे लेकर एक्शन मोड पर है। इसी के चलते स्थानांतरण नीति में इन्हें भी पर्याप्त तौर पर रखा गया है। सरकार इन्हें लेकर एक्शन मोड पर है।
न घर न ससुराल की पंचायत मिलेगी-
इन दिनों तबादलों का दौर चल रहा है। स्थानांतरण की प्रक्रिया मई माह में ही पूरी की जानी है। इसी क्रम में राज्य सरकार ने प्रदेश की पंचायतों में पदस्थ सचिवों के लिए ट्रांसफर पॉलिसी जारी कर दी है। इसके अंतर्गत पंचायत में कई सालों से पदस्थ सचिवों पर सबसे पहले गाज गिरेगी। ट्रांसफर पॉलिसी के अंतर्गत किसी भी सचिव को पैतृक पंचायत में स्थानांतरित नहीं किया जाएगा। पंचायतों में हर काम में भाई भतीजावाद के सबसे ज्यादा आरोप लगते हैं। जिसे देखते हुए सचिव का उसकी ससुराल की पंचायत में भी तबादला नहीं किया जाएगा। सबसे पहले पंचायत में 10 साल से पदस्थ सचिवों को इधर से उधर किया जाएगा।जिला पंचायत सीईओं की एनओसी अनिवार्य-ट्रांसफर पॉलिसी में सचिवों के अंतर जिला तबादलों के लिए दोनों जिलों के जिला पंचायत सीईओ की एनओसी अनिवार्य की गई है। प्रदेश के पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग द्वारा पंचायत सचिवों के लिए जारी की गई ट्रांसफर पॉलिसी के अनुसार संबंधित जिले के प्रभारी मंत्री के अनुमोदन के बाद कलेक्टर द्वारा ये तबादले करेंगे। हालांकि पंचायत सचिवों का तबादला आदेश जिला पंचायत सीईओ द्वारा ही जारी किया जाएगा।
