खुसूर-फुसूर जानकारी एक तरफा, 3 सी का पालन नहीं

खुसूर-फुसूर

जानकारी एक तरफा, 3 सी का पालन नहीं

वर्तमान तंत्र की व्यवस्था एक तरफा ही संचालित हो रही है। न तो इनका जन से सीधा संपर्क हो रहा है और न ही जन से उन्हें जुडना आ रहा है। जन के प्रतिनिधियों को साधने की कला में माहिर तंत्र अपने तईं एक तरफा सब कुछ चला रहा है। इससे विकृतियों की स्थिति सामने आ रही है। चौथा स्तंभ ऐसे मामलों में जन की बात रखता है तो उसे तंत्र फिर अपने तरीके से एक तरफा अपने लिए स्थापित साधन का उपयोग करते हुए झुठलाने के काम में लग जाता है। जब तक जन की बात को झुठला नहीं लेता है तब तक उसे चैन नहीं आता है। हाल यह है कि तंत्र में जन के साथ ही नही चौथा स्तंभ के पंजीबद्धों के साथ भी थ्री सी के पालन की व्यवस्था नहीं है। तंत्र का पीआर ऐसा है कि उसे एक तरफा ही कहा जाएगा। अपने मायने की बात को वायरल करवाने में वह कोई कसर नहीं छोड रहा और जन के मायने की बात को सामने आने से ही रोक रहा है। जन का छोटा सा मामला भी हो या चाहे छोटी सी समस्या भी हो तो आवेदन पर नहीं ज्ञापन पर ही सुनवाई होने लगी है।संवाद,संपर्क,समन्वय के तंत्र के आधारों को ताक पर रखकर ही काम किया जा रहा है। चौथा स्तंभ में जन को प्राथमिकता देने वाले दोयम दर्जे पर हैं और तंत्र के किस्सों को कहानी बनाने वाले जन से पहले प्राथमिकता पर हैं। ऐसा एक स्थान पर ही नहीं संभाग के अधिकांश जिलों में हो रहा है। तंत्र को हाथ में लेकर सीधे तौर पर अपनी ही चलाई जा रही है।खुसूर-फुसूर है कि जन-तंत्र में जन धीरे –धीरे गौण होता जा रहा है और तंत्र उस पर हावी होता जा रहा है। तंत्र को जन के अनुसार काम करना होता है लेकिन यहां तंत्र के अनुसार जन को विचार एवं कार्य व्यवहार बनाने पर मजबूर होना पड रहा है।

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